Raju Dehradun DM help : Dehradun DM’s Compassion Saves Raju: A Story of Hope and Recovery
Raju Dehradun DM help : देहरादून, 18 अगस्त 2025 : असहनीय पीड़ा से कराहते और आंखों में आंसू लिए, देहरादून कलेक्ट्रेट परिसर में अचानक एक नामी-गिरामी व्यक्ति नहीं, बल्कि एक बेबस, असहाय राजू आ पहुंचा। उसके हाथ बुरी तरह से जले हुए थे, और दर्द से छटपटाते हुए उसने जिलाधिकारी से एक ही गुहार लगाई – “साहिब, मेरा कोई अपना नहीं है, लावारिस हूं। मेरा हाथ गर्म पानी से जल गया है, इलाज की जरूरत है। बहुत दर्द हो रहा है, अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं सुन रहा, बहुत परेशान हूं। सर्जरी होनी है, पैसा नहीं है, मदद करो।” उसके रुंधे गले से निकले ये शब्द और छलकते आंसू, किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोरने के लिए काफी थे।
राजू ने बताया कि वह एक होटल में मजदूरी करता है और चमोली में उसका हाथ गर्म पानी से जल गया था। दून अस्पताल ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया था, लेकिन उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। यह सुनकर, जिलाधिकारी सविन बंसल ने पूरी संवेदनशीलता के साथ राजू की मार्मिक व्यथा सुनी। उन्होंने उसके बुरी तरह जले हाथ की असीमित और असहनीय पीड़ा को महसूस किया और बिना एक पल गंवाए उसके उपचार के लिए कदम उठाए।
तत्काल जिलाधिकारी ने बर्न स्पेशलिस्ट और निजी चिकित्सालय के डॉ. कुश से दूरभाष पर वार्ता की और राजू के उपचार का अनुरोध किया। डॉ. कुश ने भी तुरंत राजू को अस्पताल भेजने को कहा। जिला प्रशासन ने सारथी वाहन से राजू को हेल्पिंग हैंड चिकित्सालय में भर्ती कराया।
आज, जिला प्रशासन और हेल्पिंग हैंड चिकित्सालय के सहयोग से, असहाय व्यथित राजू का सफल उपचार कर लिया गया है। राजू अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसकी ड्रेसिंग चल रही है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशों पर, जिला प्रशासन की टीम प्रतिदिन निरंतर राजू का हालचाल जानने चिकित्सालय जाती रही और स्वयं जिलाधिकारी भी राजू के उपचार की निगरानी कर रहे थे। जिला प्रशासन की टीम चिकित्सालय के संपर्क में लगातार बनी रही। जिलाधिकारी ने राजू के उपचार में सहयोग के लिए चिकित्सालय प्रबंधन का आभार व्यक्त किया है।
यह केवल एक इलाज नहीं, बल्कि एक मानवीय संवेदना की मिसाल है, जहां एक बेसहारा व्यक्ति को जीवन की नई उम्मीद मिली है। जिला प्रशासन अब राजू के पुनर्वास की भी तैयारी कर रहा है, जिसके लिए जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। यह कहानी दर्शाती है कि कैसे एक अधिकारी की संवेदनशीलता और समाज के सहयोग से एक लाचार व्यक्ति के जीवन को फिर से संवारा जा सकता है।