NDMA Praises Uttarakhand’s Disaster Response, Pledges More Support
पता चलेगा आपदा में कितने कारगर रहे जीपीआर, थर्मल इमेजर व ड्रोन जैसे उपकरण
देहरादून, 27 अगस्त 2025 : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों, विशेषकर धराली में चल रहे राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की। एनडीएमए के ज्वाइंट एडवाइजर (ऑपरेशंस) लेफ्टिनेंट कर्नल संजय कुमार शाही ने उत्तराखंड सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा धराली और थराली में किए गए त्वरित और प्रभावी कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इन बड़ी आपदाओं का सामना करने में विभिन्न विभागों के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिला है।
समीक्षा बैठक के दौरान, लेफ्टिनेंट कर्नल शाही ने धराली में उपयोग किए गए उन्नत उपकरणों, जैसे जीपीआर, थर्मल इमेजर, ड्रोन और लिडार के अनुभवों पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों के इस्तेमाल से मिले अनुभव को साझा करने से अन्य राज्यों में भी आपदा के दौरान बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने ग्राउंड जीरो पर काम कर रहे राहत एवं बचाव दलों से सीधे सुझाव भी मांगे हैं, ताकि तकनीकी उपयोग को और भी प्रभावी बनाया जा सके।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य का पूरा आपदा प्रबंधन तंत्र पूरी क्षमता और दक्षता के साथ धराली और थराली में काम कर रहा है। उन्होंने एनडीएमए को उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि इस मानसून सीजन में हुए कुल नुकसान की एक विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी।
लेफ्टिनेंट कर्नल शाही ने उत्तराखंड को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने सड़क, संचार, और बिजली व्यवस्था की स्थिति के साथ-साथ हर्षिल में बन रही झील से जल निकासी की व्यवस्था की जानकारी भी ली। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) के अधिकारियों ने एनडीएमए को ग्राउंड जीरो पर चल रहे युद्धस्तर के बचाव कार्यों और निरंतर समन्वय की पूरी जानकारी दी। यह बैठक यह दर्शाती है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आपदा प्रभावितों की मदद और पुनर्निर्माण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
एसडीआरएफ ने एकत्र किए मिट्टी और पत्थर के नमूने
एसडीआरएफ के कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने बताया कि एसडीआरएफ और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की टीम द्वारा श्रीकंठ पर्वत के बेस कैंप से मिट्टी तथा पत्थरों के सैंपल एकत्र किए गए हैं। इन्हें वाडिया भूविज्ञान संस्थान तथा एनआरएससी को अध्ययन के लिए दे दिया है। इसके साथ ही ड्रोन से भी पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया गया है। ड्रोन फुटेज भी इन्हें उपलब्ध करा दी गई हैं।