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Reading: मलबे की चादर हटी, अब सन्‍नाटे की चादर में सहस्रधारा
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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > मलबे की चादर हटी, अब सन्‍नाटे की चादर में सहस्रधारा
उत्तराखंड

मलबे की चादर हटी, अब सन्‍नाटे की चादर में सहस्रधारा

Web Editor
Last updated: 2025/09/20 at 9:01 AM
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2 Min Read
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शुक्रवार शाम को कुछ इस तरह नजर आया बाजार

Silence in Sahastradhara: Dehradun’s Favorite Tourist Spot After Natural Disaster

देहरादन, 20 सितंबर 2025 : गुरु द्रोण की तपस्‍थली और सैलानियों की सबसे पसंदीदा सैरगाह सहस्रधारा सन्‍नाटे की चादर ओढे हुए है। जो सडकें और गलियां सुबह से देर रात तक पयर्टकों की चहल-कदमी से गुलजार रहते थे वहां पसरी खामोशी यह बताने के लिए काफी है कि 15 सितंबर की उस रात बरपे कहर की कराह आज भी कम नहीं हुई है। एसडीआरएफ के जवानों के हिम्‍मत और हौसले से काफी हद तक सडकों और दुकोंनों के आसपास जमा मलबे के ढेर तो साफ हो गए हैं, लेकिन जिंदगी पटरी पर लौटने में हिचकिचा रही है। इसमें समय लगना तय हैै,घाव हरा है और सरकार मरहम लगाने का प्रयास कर ही रही है।

आमतौर पर सहस्रधारा के लिए वीकेऐंड किसी उत्‍सव से कम नहीं है। सीजन कोई भी हो पर्यटकों का सैलाब यहां हमेशा ही उमडा रहता है। विशेषकर पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश, दिल्‍ली, हरियाणा और पंजाब के सैलानी शनिवार को ही यहां का रुख कर लेते हैं। स्रहस्रधारा की जिस नदी में घंटों पानी में पसरकर वे सुकून के पल बिताते थे, वह नदी अब विकराल रूप में बह रही है। चार दिन बाद नदी का जलस्‍तर भले ही थोडा कम हुआ हो, लेकिन लहरें मानों अभी भी कुपित हैं। शुक्रवार की शाम करीब पौने सात बजे बाजार में इक्‍का-दुक्‍का दुकानों को छोड ज्‍यादातर बंद हैं। बामुश्किल एक दो वाहन ही कभी कभार सडक पर नजर आ रहे हैं। दुकानों के ध्‍वंसाशेष उस रात की याद ताजा करते प्रतीत हो रहे हैं। जिन रास्‍तों से वाहनों का जमघट आगे बढने से रोकता था, वहां कोई अवरोध नहीं है। स्‍थानीय नागरिक श्‍याम सिंह कहते हैं, आपदा तो पहले भी देखी थी, लेकिन इस बार तो मानो प्रलय ही आ गई हो। उम्‍मीदों का दामन थाम वह कहते हैं आज प्रकृति भले ही रूठी हो, लेकिन कल अवश्‍य हम पर नेमतें बरसाएगी। ये दिन भी गुजर ही जाएंगे।

 

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