Dehradun Women Light Up Diwali with Handmade Candles Under Vocal for Local Initiative
देहरादून, 16 अक्टूबर 2025 : कहते हैं, अंधेरा चाहे कितना भी गहरा हो, एक दीया ही काफी है उसे मिटाने के लिए। राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र की महिलाओं ने इस कहावत को हकीकत में बदल दिया है। बीते महीने की आपदा ने भले ही इस क्षेत्र को गहरे जख्म दिए हों, पर इन्हीं जख्मों से उठकर ग्रामीण महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम की है।
रायपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत धनौला की दुर्गा और लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस बार “वोकल फॉर लोकल” अभियान को साकार करते हुए अपने हाथों से बनी सजावटी मोमबत्तियों और दीपकों से देहरादून की दिवाली को जगमगाने जा रही हैं। आपदा के बाद अंधेरे में डूबे गांवों में इन महिलाओं ने अपने हुनर और हौसले से उजाला फैलाया है — और साथ ही चीनी उत्पादों के बहिष्कार का भी सशक्त संदेश दिया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से 10 महिलाओं ने मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण लिया और दीपावली से पहले तक एक हजार पैकेट तैयार कर लिए। हर पैकेट में 6 से 8 मोमबत्तियां हैं, जिनकी कीमत 15 से 35 रुपये तक रखी गई है। लागत घटाकर और गुणवत्ता बढ़ाकर उन्होंने बाजार में एक अलग पहचान बनाई है।
समूह अध्यक्ष कौशल्या नेगी बताती हैं कि उन्हें एनआरएलएम से 1.5 लाख रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट और 75 हजार रुपये का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड मिला, जिसके सहयोग से उन्होंने उत्पादन शुरू किया। इन मोमबत्तियों की बिक्री शहर के बाजारों और स्टालों में खूब हो रही है, जिससे महिलाओं की आय 1.5 लाख रुपये से अधिक पहुंच गई है और वे “लखपति दीदी” बनने की दिशा में अग्रसर हैं।
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने कहा कि रायपुर ब्लॉक की महिलाएं इस बार दिवाली पर स्वदेशी उत्पादों से बाजार सजाने में जुटी हैं। उनकी मेहनत न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का उदाहरण है बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के “वोकल फॉर लोकल” और महिला आत्मनिर्भरता के सपने को भी साकार कर रही है।