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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > क्रांति : देश में कोई भी भाषा नहीं रहेगी अबूझ 
उत्तराखंड

क्रांति : देश में कोई भी भाषा नहीं रहेगी अबूझ 

Web Editor
Last updated: 2025/10/27 at 4:34 AM
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3 Min Read
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India’s AI Revolution: Giving Every Language a Digital Identity

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 : भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में है जहाँ भाषाओं की इतनी बड़ी विविधता देखने को मिलती है। यहाँ 22 अनुसूचित भाषाएँ और सैकड़ों जनजातीय बोलियाँ बोली जाती हैं। लेकिन अब यह विविधता सिर्फ किताबों और परंपराओं तक सीमित नहीं रह गई है — यह डिजिटल दुनिया में भी जगह बना रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और आधुनिक तकनीक की मदद से भारत सरकार देश की हर भाषा को डिजिटल पहचान देने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है।

भाषिणी, भारतजेन और आदि-वाणी जैसे एआई प्लेटफ़ॉर्म इस बदलाव के प्रमुख आधार बन चुके हैं। इनका मकसद है कि हर भारतीय, चाहे वह किसी भी भाषा या बोली से जुड़ा हो, डिजिटल सेवाओं तक अपनी मातृभाषा में पहुँच सके। उदाहरण के लिए, “भाषिणी” 22 भारतीय भाषाओं में रीयल-टाइम अनुवाद करने वाला एआई प्लेटफ़ॉर्म है। यह सरकार की वेबसाइटों, किसान सहायता ऐप्स और ई-विधान जैसी सेवाओं को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करा रहा है। वहीं “भारतजेन” सभी अनुसूचित भाषाओं के लिए टेक्स्ट और आवाज़ आधारित एआई मॉडल विकसित कर रहा है, ताकि शासन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाएँ हर भाषा में पहुँच सकें।

जनजातीय भाषाओं के लिए 2024 में शुरू किया गया “आदि-वाणी” प्लेटफ़ॉर्म भी खास है। यह संथाली, मुंडारी, गोंडी जैसी पारंपरिक बोलियों के रीयल-टाइम अनुवाद और डिजिटल संरक्षण का काम कर रहा है। इसका मकसद इन दुर्लभ भाषाओं को तकनीकी दुनिया में ज़िंदा रखना है।

इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय की “एसपीपीईएल योजना” के तहत 10,000 से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं का दस्तावेजीकरण और डिजिटल अभिलेख तैयार किया जा रहा है। सीआईआईएल, मैसूर का “संचिका” मंच ऐसे ही डिजिटल संसाधनों का बड़ा भंडार है, जहाँ शब्दकोश, कहानियाँ, और लोकसाहित्य का संग्रह किया जा रहा है।

एआई-आधारित अनुवाद उपकरण अब शिक्षा जगत में भी बदलाव ला रहे हैं। एआईसीटीई का “अनुवादिनी” ऐप और “ई-कुंभ पोर्टल” देशी भाषाओं में इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी कठिन पुस्तकों का अनुवाद उपलब्ध करा रहे हैं, ताकि छात्र अपनी मातृभाषा में बेहतर सीख सकें।

भारत अब एक ऐसी डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहा है, जहाँ तकनीक केवल सुविधा नहीं, बल्कि “भाषाई समानता” का माध्यम बन रही है। हर भारतीय की आवाज़, चाहे वह किसी भी भाषा में हो, अब डिजिटल दुनिया में सुनी जा रही है। यह वही भारत है जो अपनी भाषाई विरासत को सहेजते हुए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ भविष्य की ओर आत्मविश्वास से बढ़ रहा है।

 

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Web Editor October 27, 2025
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