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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > जलाशयों के डिसिल्टिंग को रॉयल्टी फ्री करने के लिए नीति बनाने के निर्देश 
उत्तराखंड

जलाशयों के डिसिल्टिंग को रॉयल्टी फ्री करने के लिए नीति बनाने के निर्देश 

Web Editor
Last updated: 2024/07/26 at 8:16 AM
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देहरादून : उत्तराखण्ड के बौर, हरिपुरा, तुमारिया, नानकसागर जैसे जलाशयों में अत्यधिक सिल्ट जमाव की समस्या के समाधान, तथा इन जलाशयों में पर्यटन गतिविधियों एवं मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की दिशा में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने जलाशयों के डिसिल्टिंग (सिल्ट या मिट्टी उठान) को रॉयल्टी फ्री करने हेतु नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इस सम्बन्ध में सिंचाई विभाग को सभी सम्बन्धित विभागों से अनापत्ति लेने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि यदि विभाग द्वारा बौर व हरिपुरा जलाशयों के सिल्ट का कर्मिशयल उपयोग नही किया जा रहा है तो इन जलाशयों के सिल्ट उठान को रॉयल्टी फ्री करने की नीति तैयार करने की दिशा में तत्काल कार्य आरम्भ किया जाए। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग को 15 दिन का समय देते हुए वन विभाग के साथ सयुंक्त निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जलाशयों को पचास साल से भी अधिक का समय हो गया है. ऐसे स्तिथि में जलाशयों की क्षमता निरंतर घटती जा रही है. जलाशयों में अत्यधिक सिल्ट आने से भविष्य में किसानों को सिंचाई के लिए पानी के अभाव और बाढ़ जैसे चुनौतियों के समाधान, जलाशयों में पर्यटन गतिविधियों एवं मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए डिसीलटिंग जरूरी है |

सचिवालय में व्यय वित्त समिति की बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने उधमसिंह नगर के गदरपुर में बाबा डल मन्दिर से बौर जलाशय से गूलरभोज-कूल्हा तिलपुरी वन बैरियर तक सिंचाई विभाग के माध्यम से कंक्रीट सड़क निर्माण कार्यो का वित्तीय अनुमोदन दिया। बौर एवं हरिपुरा जलाशय जनपद ऊधमसिंहनगर के विकास खण्ड गदरपुर / बाजपुर में स्थित है। इन बांधों की लम्बाई क्रमशः 9.500 कि०मी० एवं 7.900 कि०मी० तथा जल ग्रहण क्षमता 3650 एवं 1000 मि० घन फुट है। जलाशयों में वर्षाकाल की बाढ से जल संचय किया जाता है, इन जलाशयों में वर्षभर सिंचाई हेतु कृषकों को पानी दिया जाता है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पर्यटन हब के रूप में भी इस क्षेत्र को विकसित किया जाना है। उत्तराखण्ड शासन की महत्वकांक्षी योजना 13 जनपद 13 पर्यटन स्थल में भी बौर-हरिपुरा जलाशय को सम्मिलित किया गया है। इन जलाशयों में पर्यटन की गतिविधियों को बढावा देने हेतु पर्यटन विभाग द्वारा विगत वर्षों से पर्यटकों हेतु नौकायान एवं अन्य जल क्रीडाओं का आयोजन किया जा रहा है जिसमें भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बना रहता है। उक्त जलाशयों के पहुँच मार्ग कच्चे होने के कारण पर्यटकों के सुगम आवागमन में अत्याधिक कठिनाईयां उत्पन्न हो रही है जिसके लिए यह योजना बनाई गई है। योजना का वित्त पोषण Missing Link Funding तहत किया जा रहा है |

आज की व्यय वित्त समिति में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने मोहकमपुर देहरादून में न्यायिक कार्मिकों के लिए बनने वाले 32 आवासीय भवनों के निर्माण का भी अनुमोदन दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि उक्त आवासीय भवनों में अनिवार्य रूप से सोलर पैनल की व्यवस्था की जाए तथा ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा पर कार्य किया जाए।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने देहरादून में पशु प्रजनन फार्म कालसी के सुदृढ़ीकरण के कार्यों हेतु कम्प्ररहेन्सिव स्टडी के निर्देश दिए हैं। पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, कालसी जनपद देहरादून में स्थापित है तथा वर्तमान में भारत सरकार द्वारा देश में सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस ऑन इण्डीजिनस ब्रीड्स नामित किया गया है। इस प्रक्षेत्र पर भ्रूण प्रत्यारोपण की तकनीक से नस्ल सुधार कार्यक्रम सम्पादित किया जा रहा है। केन्द्र पोषित राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत प्रक्षेत्र का सुदृढीकरण प्रस्तावित है। फार्म पर बायोसिक्योरिटी के सुदृढीकरण से संस्था पर व्यवस्थित पशुधन को संक्रामक रोगों से बचाव करना है। प्रक्षेत्र में स्थापित प्रशिक्षण केन्द्र पर प्रदर्शन इकाईयों की स्थापना से पशुपालकों को हैण्डस ऑन प्रशिक्षण दिये जाने हेतु कार्य किया जाना है तथा प्रशिक्षण हेतु आये पशुपालकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान हो सकेगी। योजना का वित्त पोषण भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत 100 प्रतिशत वित्त पोषित है।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने पशुलोक ऋषिकेश में हीफर रियरिंग फार्म के सुदृढ़ीकरण के कार्य की भी सैद्धान्तिक स्वीकृति दी है। पशुलोक ऋषिकेश में वर्ष 2019 में हीफर रियरिंग फार्म की स्थापना का कार्य आर०आई०डी०एफ० योजनान्तर्गत किया गया था तथा फार्म से राज्य के पशुपालकों को उचित मूल्य पर संकर नस्ल की गाय उपलब्ध कराना है। वर्तमान में प्रक्षेत्र पर उपलब्ध 37.9 एकड भूमि पर पशुओं हेतु चारें का उत्पादन किया जाता है तथा योजनान्तर्गत 38.7 एकड भूमि पर अतिरिक्त चारा एवं साईलेज का उत्पादन किया जाना है जिससे प्रक्षेत्र पर व्यवस्थित पशुधन को पर्याप्त मात्रा में चारा मिल सकें। प्रक्षेत्र से राज्य के पशुपालकों को उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता के पशुओं को उपलब्ध कराया जायेगा। योजना का वित्त पोषण भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत 100 प्रतिशत वित्त पोषित है। बैठक में सचिव पशुपालन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिंचाई एव सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

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साथियों, ये है हिमालय की आवाज. आप सोच रहे होंगे कि इतने पोर्टल के बीच एक और पोर्टल. इसमें क्या अलग है. यूं तो इसमें भी खबर ही होंगी, लेकिन साथ ही होगी हिमालय की आवाज यानी अपनी माटी, अपने गांव गली और चौक की बात. जल-जंगल और जमीन की बात भी. पहाड़ के विकास के लिए हम दमदार आवाज बनेंगे. आप सभी शुभचिंतकों के सहयोग का आकांक्षी. : किरण शर्मा, संस्‍थापक

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