देहरादून : आयुष नीति-2023 को सामने रखकर उत्तराखंड ने अब दक्षिण भारत के राज्यों पर फोकस करना शुरू कर दिया है। मंशा ये ही है कि दक्षिण भारत की प्रमुख आयुर्वेदिक दवा कंपनियां उत्तराखंड का रूख करें। इस संबंध में केरल आयुर्वेदशाला, श्रीधर्यम जैसी संस्थाओं के साथ उत्तराखंड का संवाद शुरू हुआ है। विश्व आयुर्वेदिक कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 का बड़ा प्लेटफार्म उत्तराखंड के लिए उपयोगी साबित हुआ है।
देश की तमाम नामचीन आयुर्वेदिक दवा कंपनियां उत्तराखंड से संबद्ध हैं और यहां दवा निर्माण का कार्य कर रही हैं। मगर आयुष स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से बेहद समृद्ध केरल व अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों की दवा कंपनियां अब भी उत्तराखंड से दूर हैं। उत्तराखंड की नजरें ऐसे राज्यों और उनकी दवा कंपनियों पर टिकी हुई है। इसके लिए वह अब अपनी आयुष नीति के प्रावधानों को सामने रखकर उन्हें आकर्षित करने की कोशिश में है। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 के बडे़ प्लेटफार्म का उत्तराखंड ने अपने पक्ष में इस्तेमाल किया है।
अपर सचिव आयुष डा.विजय जोगदंडे के अनुसार-दक्षिण भारत के राज्यों की आयुर्वेद दवा कंपनियों को हम उत्तराखंड में निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। कुछ कंपनियों के साथ हमारी बात आगे बढ़ी है। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का अवसर इस लिहाज से उपयोगी साबित हुआ है।
आयुष नीति वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य
उत्तराखंड को यह श्रेय हासिल है कि वह आयुष नीति को लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। आयुष नीति-2023 को लागू की गई है। इसमें आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने, निवेश को प्रोत्साहित करने समेत तमाम पहलुओं पर आकर्षक प्रावधान किए गए है। अपर सचिव आयुष डा विजय जोगदंडे के मुताबिक-आयुष नीति लागू होने के बाद से 1200 करोड़ के निवेश धरातल पर उतरे हैं, जो कि सकारात्मक संदेश है।
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हम उत्तराखंड में आयुष को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। आयुष नीति-2023 इस संबंध में मील का पत्थर साबित होगी। उत्तराखंड में इस नीति के लागू होने के बाद निवेश बढ़ रहा है। आयुष सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 के वैश्विक प्लेटफार्म से आयुष नीति का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ है, जिसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री