देहरादून : लगभग तीन साल पहले खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की दल बदल से जुड़ी एक याचिका पर विधानसभा सचिवालय ने करवट ली है। विधानसभा सचिवालय ने याचिकाकर्ता रविन्द्र पनियाला को इस बाबत सबूत पेश करने को कहा है।
मामला यह है कि निर्दलीय विधायक उमेश कुमार 2022 मार्च में विधायक चुने जाने के बाद एक राजनीतिक दल में शामिल हो गए थे। इस बाबत कई चैनल व अखबारों में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हुई थी। 26 मई 2022 को पनियाला ने ठोस सबूतों के साथ विधानसभा में याचिका पेश की थी।
इस याचिका में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार पर दल बदल कानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए विधायकी रद्द करने की मांग की थी। इस याचिका को दिए तीन साल हो गए। लेकिन स्पीकर ऋतु खण्डूड़ी ने याचिका के अध्ययन में तीन साल निकाल दिए। इस दौरान कोई ठोस निर्णय नहीं लेने पर स्पीकर की चुप्पी पर भी कई सवाल उठे। विधानसभा के बहुचर्चित भर्ती घोटाले में स्पीकर ने तय समय सीमा के अंदर जॉच कर 250 तदर्थ लोगों को नौकरी से निकाल दिया था लेकिन उमेश कुमार के मुद्दे पर खामोश रहीं। इस बीच, यह चर्चा भी आम रही कि सत्तारूढ़ दल से जुड़े कुछ ताकतवर लोग निर्दलीय उमेश कुमार को संरक्षण दे रहे हैं। 500 करोड़ में धामी सरकार गिराने सम्बन्धी उमेश कुमार के गैरसैंण विधानसभा में दिए गए बयान के बाद तो संरक्षण वाली चर्चा को और भी बल मिला था।
बहरहाल, विधानसभा के डिप्टी सेक्रेटरी हेम पंत ने स्पीकर ऋतु खण्डूड़ी के निर्देशों का हवाला देते हुए भाजपा नेता व याचिकाकर्ता रविन्द्र पनियाला व निर्दलीय विधायक को शपथ पत्र के साथ मौखिक व दस्तावेजी सबूत पेश करने को कहा है। विस सचिवालय ने यह पत्र अंग्रेजी में जारी किया है। अब पनियाला याचिका में नत्थी किये गए अहम दस्तावेजी सबूतों के साथ कब स्पीकर के कार्यालय में आते हैं , यह देखने वाली बात होगी।बैसे पनियाला ने सीएम धामी के साथ खींची गई एक ताजी फ़ोटो को वॉयरल भी किया है। इधर, दल बदल कानून के उल्लंघन से जुड़ी जिस याचिका का एक तय समय सीमा में निस्तारण हो जाना चाहिए था। उस याचिका पर तीन साल गुजर जाने के बाद हरकत देखने को मिली है।