नई दिल्ली : अंतरिक्ष में तैर रही अबूझ पहेलियों में हमारा सौर परिवार भी शामिल है। इसी कडी में खगोलविद सूर्य की रहस्यमयी दुनिया को समझने का प्रयास कर रहे हैं। अब खगोलविदों ने शक्तिशाली सौर विस्फोटों की एक श्रृंखला की जटिल कहानी का खुलासा किया है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 20 वर्षों में देखे गए किसी भी सौर तूफान का पता चलेगा।
कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) सूर्य के कोरोना से चुंबकीय प्लाज्मा के विशाल उत्सर्जन हैं। जब ऐसे सौर विस्फोट पृथ्वी की तरफ आते हैं, तो वे भू-चुंबकीय तूफान पैदा कर सकते हैं। ये तूफान उपग्रह संचालन, संचार प्रणालियों और बिजली ग्रिड को बाधित कर सकते हैं। अब तक सूर्य से पृथ्वी की ओर यात्रा करते समय सीएमई किस प्रकार विकसित होते हैं, इसका पता नहीं चल पाया है।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के फैकल्टी सदस्य डॉ. वागीश मिश्रा के नेतृत्व में सौर खगोल भौतिकविदों की एक टीम ने इस घटना काेे समझने के लिए नासा और ईएसए अंतरिक्ष अभियानों के अवलोकनों का उपयोग किया। उन्होंने एक मॉडल तैयार किया जिसमें यह पता लगाया गया कि लद्दाख के हानले स्थित आईआईए की भारतीय खगोलीय वेधशाला से प्राप्त छह परस्पर क्रियाशील सौर विस्फोटों की दुर्लभ श्रृंखला ने किस प्रकार एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया की और सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचने के दौरान तापीय रूप से विकसित होकर आईआईए का निर्माण किया।
टीम ने न केवल इन विस्फोटों के पथों का बल्कि सौरमंडल में फैलते समय उनके तापमान और चुंबकीय अवस्थाओं का भी पता लगाया। उन्होंने पाया कि ये सौर बादल केवल ऊष्मा ही नहीं ले जाते बल्कि वे अपनी यात्रा के बीच में ही अपना तापीय व्यवहार बदल देते हैं। आरंभ में सीएमई ऊष्मा छोड़ते हैं, लेकिन फिर एक ऐसी अवस्था में पहुंच जाते हैं जहां वे उसे अवशोषित करते हुए धारण करते हैं। इस दौरान वैज्ञानिकों को कुछ और भी चीज़ें मिलीं। अंतिम तूफ़ानी बादल में दो परस्पर गुंथी हुई चुंबकीय संरचनाएं थीं—जिन्हें “डबल फ्लक्स रस्सियां” कहा जाता है। ये उलझी हुई चुंबकीय लटों की तरह काम करती थीं। एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित ये निष्कर्ष अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान मॉडल में सुधार के लिए एक बड़ा कदम है। विशेष रूप से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर उस जटिल सीएमई घटनाओं के प्रभाव की जानकारी प्राप्त करने में जिसकी भविष्यवाणी हम करना चाहते हैं। वागीश मिश्रा ने कहा कि उनकी शोध टीम भारत के आदित्य-एल1 अंतरिक्ष मिशन के अवलोकनों को शामिल करने के लिए उत्सुक है, जिसमें दृश्य उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (वीईएलसी), सूर्य के निकट अंतरिक्ष यान के अवलोकन और आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (एएसपीईएक्स) के पृथ्वी के निकट के अवलोकन शामिल हैं।