नई दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध पश्चिमी घाट से लाइकेन की एक पूर्व अज्ञात प्रजाति, एलोग्राफा इफ्यूसोरेडिका , की खोज की है, जो सहजीवन, विकास और लचीलेपन का उदाहरण है। लाइकेन केवल जीव नहीं, बल्कि दो (कभी-कभी ज़्यादा) जीव होते हैं जो सहजीवन में रहते हैं। एक फंग्स जो संरचना और सुरक्षा प्रदान करता है, और एक फोटोबायोन्ट (आमतौर पर एक हरा शैवाल या सायनोबैक्टीरियम) जो सूर्य के प्रकाश से भोजन बनाता है। अपने साधारण रूप के बावजूद, लाइकेन पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, मिट्टी बनाते हैं, कीड़ों को भोजन देते हैं और प्रकृति के जैव-संकेतक के रूप में कार्य करते हैं।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान, पुणे स्थित एमएसीएस-अघारकर अनुसंधान संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन में शास्त्रीय वर्गीकरण को आधुनिक आणविक उपकरणों के साथ संयोजित किया गया। इससे इस क्षेत्र में इस प्रजाति के लिए नए आणविक मानक स्थापित हुए। नई पहचानी गई प्रजाति, एक क्रस्टोज़ लाइकेन, जिसमें आकर्षक इफ्यूज़ सोरेडिया और तुलनात्मक रूप से दुर्लभ रासायनिक गुण हैं (जिसमें नॉरस्टिक्टिक एसिड नामक रसायन पाया जाता है, जिसे एलोग्राफा वंश की अन्य समान आकारिकी प्रजातियों की तुलना में दुर्लभ माना जाता है), का रूपात्मक, रासायनिक और उन्नत आणविक तकनीकों का उपयोग करके विस्तार से अध्ययन किया गया। इससे इसके शैवालीय साथी, एक ट्रेंटेपोहलिया प्रजाति का भी पता चला, जिससे उष्णकटिबंधीय लाइकेन में प्रकाश-जैविक विविधता की विरल लेकिन बढ़ती समझ में वृद्धि हुई।
अध्ययन दल, का कहना है, “यह भारत में अनुक्रमित एलोग्राफा की पहली भारतीय प्रजाति है (भारत में खोजी गई यह प्रजाति, आणविक डेटा द्वारा समर्थित देश की पहली एलोग्राफा है।” “यह लाइकेन-शैवाल सहजीवन पर भी प्रकाश डालता है, जो स्थानीय रूप से अनुकूलित फोटोबायोन्ट की अवधारणा को मजबूत करता है।” एंसिल पीए , राजेश कुमार केसी , श्रुति ओपी और भारती ओ. शर्मा के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन, सहजीवी जीवन रूपों और उनकी छिपी आनुवंशिक जटिलता को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह भारत में लाइकेन की बढ़ती सूची में योगदान देता है। एलोग्राफा इफ्यूसोरेडिका भारत में पाई जाने वाली इस प्रजाति की 53वीं और अकेले पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली 22वीं प्रजाति बन गई है। यह अध्ययन भारतीय लाइकेन विविधता, विशेष रूप से जैव विविधता हॉटस्पॉट्स पर, और अधिक आणविक कार्य की तत्काल आवश्यकता पर बल देता है।