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कैसे पहुंचे
कहां ठहरें
घूमने का बेस्ट सीजन
देहरादून : देवदार के ऊंचे वृक्षों के बीच अध्यात्मिक अनुभूति कराता कोनेश्वर महादेव मंदिर। पांच सौ साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के बाद चले आइए पक्षियों, तितलियों और वन्यजीवों के मोहक संसार में। एक ऐसी सैर जिसे आप शायद ताजिंदगी न भूल पाएं। यह है देवलसारी का बटरफ्लाई पार्क। जैव विविधता से भरपूर इस पार्क में पक्षियों की 198 और तितलियों की 200 प्रजातियां चिन्हित की गई हैं। रंग बिरंगी तितलियों की सपनीली दुनिया के बीच यदि किस्मत ने साथ दिया तो गुलदार, चीतल, भालू, घुरल, सांभर और उडऩ गिलहरी भी नजर आ सकतेे हैं।
देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित देवलसारी को कुदरत ने अनेक नेमतों से नवाजा है। यह जगह पहाडों की रानी मसूरी से ज्यादा दूर भी नहीं है। समुद्रतल से करीब पांच हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित देवलसारी देहरादून सेे 75 और मसूरी से लगभग 45 किलामीटर की दूरी पर स्थित है। टिहरी के जौनपुर विकासखंड में तहत आने वाला यह क्षेत्र मसूरी वन प्रभाग की देवलसारी रेंज में है। यहां बांज, मोरू और ओक के जंगल इस स्थान को एक अनुपम आभा प्रदान करते हैं। वन पंचायतों और वन विभाग के सहयोग से वर्ष 2016 में करीब छह से सात किलोमीटर के दायरे में यह पार्क विकसित किया गया।
ठहरने की व्यवस्था: देवलसारी में प्रकृति प्रेमियों व पर्यटकों के लिए ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। स्थानीय लोगों के कुछ गेस्टहाउस और होमस्टे हैं जो बुनियादी और आरामदायक सुविधाएँ प्रदान करते हैं। वैसे होमस्टे अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह स्थानीय जीवनशैली और आतिथ्य का प्रत्यक्ष अनुभव करता है।
ऐसे पहुंचे : देवलसारी पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जौलीग्रांट (देहरादून) में है। देहरादून, मसूरी से कार, टैक्सी व अन्य साधनों से यहां पहुंचा जा सकता है।
बसंत और शरद में करें देवलसारी के दीदार
देवलसारी जाने का सबसे अच्छा समय बसंत (मार्च से जून) और शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) है। इन अवधियों में मौसम सुहावना होता है और नैसर्गिक सुंदरता चरम पर होती है। ग्रीष्मकाल मैदानी इलाकों की गर्मी से राहत प्रदान करता है। जुलाई से अगस्त तक मानसून का मौसम हरियाली लेकर आता है, लेकिन बारिश के कारण यात्रा चुनौतीपूर्ण हो सकती है।