भारतीय वैज्ञानिकों ने की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने वाले खास जीन की पहचान
नई दिल्ली : अनानास एक ऐसा फल, देखते ही मुंह में पानी आ जाए। इस फल के साथ सबसे बडी दिक्कत यह है कि एक खास तरह की फफूंद इसे खराब कर देती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। भारतीय शोधकर्ताओं ने अनानास में एक ऐसे जीन की पहचान की है जो विनाशकारी फफूंद के हमलों से इस फल की रक्षा करेेेेगा।
अनानास की खेती के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक फ्यूजेरियोसिस नामक रोग है, जो आक्रामक फफूंद फ्यूजेरियम मोनिलिफॉर्म के कारण उत्पन्न होता है। यह पौधे के तने को विकृत कर देता है, पत्तियों को काला कर देता है और फल अंदर से सड़ जाता है । इससे किसानोंं को भारी नुकसान उठाना पडता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सोमैटिक एम्ब्रियोजेनेसिस रिसेप्टर काइनेज (एसईआरके) के पीछे के जीन की पहचान की है, जो पौधों की बीमारियों के विरूद्ध सामूहिक प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय कर सकता है। संस्थान के प्रोफ़ेसर गौरव गंगोपाध्याय ने अपनी पीएचडी छात्रा डॉ. सौमिली पाल के साथ मिलकर अनानास के पौधों में इस जीन को बढ़ाया। इस आनुवंशिक बदलाव ने पौधे की प्राकृतिक सुरक्षा को सक्रिय कर दिया, जिससे यह सामान्य किस्मों की तुलना में फफूंद से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से लड़ने में सक्षम हो गया।