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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > मक्‍की के लटकते गुच्‍छों से पयर्टकों का पडाव बना मसूरी के पास बसा एक गांव
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मक्‍की के लटकते गुच्‍छों से पयर्टकों का पडाव बना मसूरी के पास बसा एक गांव

Web Editor
Last updated: 2025/07/24 at 7:14 AM
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सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना कार्न विलेज आफ इंडिया सैंज गांव

देहरादून : अंग्रेजों को इंग्‍लैंड सा अहसास करानेे वाली पहाडों की रानी मसूरी का सैलानियों की सपनीली दुनिया में खास मुकाम है।  यही वजह है कि यहां वर्ष भर सैलानियों का तांता लगा रहता है । पर्यटक मसूरी आएं और विश्‍व प्रसिद्ध कैम्‍पटी फाल न जाएं ऐसा हो नहीं सकता।  लेकिन कैम्‍टी फाल से कुछ दूर बसा एक गांव भी यहां आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसका प्रमुख कारण है इस गांव में मकानों के बाहर लटकते मक्‍की के गुच्‍छे। यही अनूठा अंदाज गांव को कार्न विलेज आफ इंडिया के नाम से ख्‍याति दिला रहा है।

मसूरी से करीब 16 किलोमीटर और कैम्‍पटी फाल से पांच किलोमीटर दूर बसे सैंजी गांव में लगभग 35 परिवार हैं। गांव की आबादी है करीब पांच सौ। पहाड के दूूूूसरे गांवों  की तरह यहां भी लोग पशुपालन और खेती बाडी से ही जुडे हैं। गांव के कार्न विलेज बनने की कहानी भी दिलचस्प है।  पर्यटकों को आकर्षित करने का यह काम किसी रणनीति के तहत नहीं हुआ, बल्कि अपनी फसल को कीड़ों और जानवरों से बचाने के लिए बरती जाने वाली  सावधानी ने सैंजी गांव को सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना दिया। गांव के सभी परिवार अच्‍छी खासी तादाद में मक्का की पैदावार लेते हैं। यह उनकी आर्थिकी का मुख्‍य जरिया भी है। यहां हर घर के आगे बड़ी संख्या में मकई के गुच्छे टंगे नजर आते हैं। बेतरतीब नहीं, बल्कि बहुत सलीके से, इस तरह मानो किसी ने अपने घर की सजावट के लिए गहरे पीले रंग के फूलों के गुच्छे बनाकर लगा दिए हों। यह सजावट सैलानियों को मुग्ध कर देती है।  स्थानीय लोगों के अनुसार फसल काटने के बाद इसे इधर उधर डालकर सुखाने की बजाय  घर ले आते हैं। फिर बरामदे और छज्जों पर टांग देते हैं। ऐसा करने से  फसल उनकी आंखों के सामने रहती है और पक्षियों व जंगली जानवरों से सुरक्षा भी हो जाती है।

प्रतिदिन बडी संख्‍या में पर्यटक मकई से सजे घर देखने पहुंचते हैं। उनके लिए यह अलग तरह का अनुभव होता है। कुछ साल पहले तक टिहरी के जौनपुर ब्लाक के छोटे से गांव सैंजी को बहुत कम लोग जानते थे, लेकिन अब यह गांव मसूरी और कैंपटी फाल आने वाले पर्यटकों का पडाव बन चुका है।

 

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साथियों, ये है हिमालय की आवाज. आप सोच रहे होंगे कि इतने पोर्टल के बीच एक और पोर्टल. इसमें क्या अलग है. यूं तो इसमें भी खबर ही होंगी, लेकिन साथ ही होगी हिमालय की आवाज यानी अपनी माटी, अपने गांव गली और चौक की बात. जल-जंगल और जमीन की बात भी. पहाड़ के विकास के लिए हम दमदार आवाज बनेंगे. आप सभी शुभचिंतकों के सहयोग का आकांक्षी. : किरण शर्मा, संस्‍थापक

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