गंगा में डॉल्फ़िन की संख्या में भी उत्साहजनक वृद्धि
नई दिल्ली : उत्तराखंड के लिए राहत की बात है कि यहां गंगा का जल प्रदूषित नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार यहां गंगा जल में बायो कैमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा प्रति लीटर तीन मिलीग्राम से भी कम है। यही स्थिति झारखंड की भी है। इसीलिए इन्हें प्रदूषित क्षेत्राें में शामिल नहीं किया गया है। जबकि उत्तर प्रदेश में, फर्रुखाबाद से इलाहाबाद और मिर्जापुर से गाजीपुर तक के क्षेत्र में बीओडी की यह मात्रा 3-6 मिलीग्राम/लीटर मिली है। इसी तरह बिहार में, बक्सर, पटना, फतवा और भागलपुर केे साथ ही बंगाल में बेहरामपुर से हल्दिया तक का क्षेत्र में बीओडी 6-10 मिलीग्राम/लीटर तक मिला है। इसके अलावा, नदी के स्वास्थ्य का एक संकेतक, डिजाल्व ऑक्सीजन (डीओ) का मान, स्नान जल गुणवत्ता मानदंडों की स्वीकार्य सीमा के भीतर पाया गया है। गंगा नदी का लगभग पूरे क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र को सहारा देने के लिए संतोषजनक है।
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि वर्ष 2024-25 के दौरान गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे 50 स्थानों और यमुना नदी एवं उसकी सहायक नदियों के किनारे 26 स्थानों पर किए गए जैव-निगरानी के अनुसार जैविक जल गुणवत्ता (बीडब्ल्यूक्यू) मुख्यतः ‘अच्छी’ से ‘मध्यम’ तक रही।
इसके अलावा, पिछले एक दशक में गंगा नदी में डॉल्फ़िन की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2009 में अनुमानित आधार रेखा 2,500-3,000 डॉल्फ़िन से, 2015 में यह संख्या लगभग 3,500 हो गई और 2021-2023 के दौरान किए गए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के अनुसार, यह संख्या लगभग 6,327 हो गई। यह 2009 से दोगुने से भी अधिक की वृद्धि दर्शाता है। गंगा बेसिन में, 17 सहायक नदियों में 2021-2023 के आकलन ने कई नदियों में डॉल्फ़िन की उपस्थिति की पुष्टि की, जहाँ पहले उनका कोई रिकॉर्ड नहीं था, जैसे रूपनारायण, गिरवा, कौरियाला, बाबई, राप्ती, बागमती, महानंदा, केन, बेतवा और सिंध।