Dehradun-Mussoorie Ropeway: 5.5 Km Project to Cut Travel to 20 Mins
आज से करीब 200 साल पहले दून से मसूरी पहुंचाने वाली पगडंडयिों का सफर जितना रोमांचक था, उतना ही रोचक भी। वक्त की रफतार देखिए कभी देहरादून से मसूरी पहुंचने के लिए करीब नौ से दस किलोमीटर पैदल चलना पडता था यानी करीब तीन से चार घंटे की यात्रा । फिर सडक का निर्माण हुआ और मसूरी करीब 35 किलोमीटर दूर हो गई और यात्रा का समय सिमट कर रह गया डेढ से दो घंटे। रोपवे बनने के बाद यह दूरी रह जाएगी 5.5 किलोमीटर और समय लगेगा 15 से 20 मिनट।
चलाे अब उन पगडंडियों की सैर भी कर ली जाए, जिनसे होकर 19वीं और 20वीं सदी के मध्य तक लोग मसूरी पहुंचते थे। देहरादून में राजपुर नामक स्थान से शुरू होने वाला यह रास्ता मसूरी में बार्लोगंज तक जाता था। करीब नौ से दस किमी लंबे इस मार्ग पर पांच जगह खडी ढलानें थी। इन्हें पांच कैंची भी कहा जाता है। बताते हैं कि इसी रास्ते से प्रख्यात कवि और उपन्यासकार रुडियार्ड किपलिंग भी मसूरी गए थे। इसीलिए उनकी याद में इस मार्ग का नाम किपलिंग ट्रेल भी पडा। इसके बाद 19वींं दी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में मसूरी तक बैलगाडी के लिए सडक तैयार हो चुकी थी। ग्लोगी पावर हाउस के निर्माण की सामाग्री भी बैलगाडियों से ही मसूरी पहुंचाई गई। मसूरी के इतिहास पर गहन शोध करने वाले इतिहासकार जय प्रकश उत्तराखंडी बताते हैं कि वर्ष 1920 में इसी उबड खाबड सडक पर हिचकोले खाते हुए एक अंग्रज ई डब्ल्यू बेल पहली बार कार चलाकर मसूरी पहुुंचा। हालांकि बाद में वर्ष 1929 में मसूरी पक्की सडक से जुड गई।
मसूरी से दून तक लगेंगे 26 टावर
दून-मसूूूरी रोपवे परियोजना के लिए देहरादून के पुरुकुल से मसूरी के लाइब्रेरी चौक के बीच 26 टावर बनाए जाने हैं। पुरकुल गांव में रोपवे के लोअर टर्मिनल स्टेशन के भूतल का निर्माण हो चुका है। यहां तीन मंजिला पार्किंग भी बन गई है और चौथी मंजिल तैयार की जा रही है। मसूरी में बनने वाले अपर टर्मिनल का निर्माण भी चल रहा है। वर्ष 2024 में शुरू हुुुई यह परियोजना वर्ष 2026 के अंत तक पूरी होनी है।