Himalayan Clouds Carrying Toxic Metals, Study Reveals
Himalayan cloud pollution : पहाड़ों के संवेदनशील इकोसिस्टम के लिए नई चुनौती
बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अध्ययन में हुआ खुलासा
Himalayan cloud pollution : नई दिल्ली, 02 अगस्त 2025 : हिमालय की बर्फीली चोटियों और शांत वादियों में एक नया और गंभीर खतरा मंडरा रहा है। एक चौंकाने वाले वैज्ञानिक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जो बादल हमें बारिश देते हैं, वे अब प्रदूषित निचले इलाकों से ज़हरीली भारी धातुओं को ढोकर पहाड़ों के संवेदनशील इकोसिस्टम तक पहुंचा रहे हैं। यह खोज न सिर्फ “पहाड़ी बारिश” की शुद्धता के मिथक को तोड़ती है, बल्कि भारत के सबसे ऊंचे और नाजुक क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरे की घंटी है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया है कि पश्चिमी घाट और पूर्वी हिमालय पर मानसून के दौरान बिना बारिश वाले बादलों में कैडमियम (Cd), तांबा (Cu), और जस्ता (Zn) जैसी ज़हरीली धातुएं मौजूद हैं। पूर्वी हिमालय के ऊपर के बादलों में प्रदूषण का स्तर 1.5 गुना अधिक था, जिसका मुख्य कारण गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाला उत्सर्जन है। इन धातुओं को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जोड़ा गया है।
बोस इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सनत कुमार दास के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं ने इन धातुओं के संभावित स्वास्थ्य जोखिमों का मूल्यांकन किया। अध्ययन से पता चला है कि भारत में बच्चों को वयस्कों की तुलना में इन ज़हरीली धातुओं से 30% अधिक खतरा है। पूर्वी हिमालय में साँस के जरिए इन प्रदूषित बादलों को लेना गैर-कैंसरजनक बीमारियों का एक बड़ा कारण बन सकता है। इसके अलावा, बादलों में मौजूद घुले हुए क्रोमियम (Cr) को साँस से लेने से कैंसरजनक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
यह अध्ययन इस बात पर ज़ोर देता है कि प्रदूषित बादल वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन से ज़हरीली धातुओं को ढोकर ऊंचे इलाकों तक पहुंचाते हैं। इससे ऊँचे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को त्वचा के संपर्क, साँस लेने और बारिश के पानी के इस्तेमाल के माध्यम से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
‘एनवायर्नमेंटल एडवांसेज’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन ने वायुमंडलीय प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है। हालांकि, शोध में यह भी कहा गया है कि भारतीय बादल अभी भी चीन, पाकिस्तान, इटली और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम प्रदूषित हैं, जिससे भारत अभी भी एक सुरक्षित स्वास्थ्य क्षेत्र में बना हुआ है। यह निष्कर्ष प्रदूषण को नियंत्रित करने और इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। यह अध्ययन नीति निर्माताओं और आम जनता दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि वायु प्रदूषण का असर केवल शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सबसे स्वच्छ और ऊँचे इलाकों को भी प्रदूषित कर रहा है।