धराली का वर्ष 2021 में लिया गया फोटो
harsil dharali cloudburst : Harsil Valley Cloudburst: Dharali’s Devastation Caught on Camera
आज ऐसा नजर आ रहा है धराली कस्बा
harsil dharali cloudburst : उत्तरकाशी, 05 अगस्त 2025 : हिमालय की गोद में बसे खूबसूरत हर्षिल से महज तीन-चार किलोमीटर दूर स्थित धराली कस्बेे पर जो कुदरत कभी दिल खोेल कर मेहरबान थी, वह अचानक इस तरह कुपित हो जाएगी, कौन जानता था। सुबह जहां जिंदगी अठखेलियां कर रही थीं, दोपहर होते-होते घाटी में गूंजने लगा करुण क्रंदन। जिददोजहद थी तो बस इतनी कि किसी तरह जिंदगी बच जाए। ऊपर दी गई दो तस्वीरें गवाही दे रही हैं कि पल भर में क्या से क्या हो गया। मंजर ऐसा था कि जिंदगियों को डूबने से बचाने के प्रयास में दूर से यह सब देख रहे लोग सीटियां बजाते और शोर मचाते रह गए।
उत्तराखंड के पहाडों के लिए कुदरत का यह रूप नया नहीं है। टिहरी में बूढाकेदार से लेकर पिथौरागढ में मालपा और केदारनाथ आपदा तक एक लंबी फेहरिस्त है। इन आपदाओं में हजारों लोग जान गंवा चुके हैं। इस बार यह दोहराया गया धराली में। खीर गंगा नदी में आया सैलाब ऐसा था मानो समंदर में सुनामी आ गयी हो। दूसरी ओर पहाड पर खडे लोगों ने इस मंजर को अपने कैमरे में कैद किया तो सीटी बजाकर, शोर मचाकर उन बदकिस्मतों को सतर्क करने की कोशिश भी की जो उसकी चपेट में आने वाले थे। पता नहीं ये अलार्मिंग आवाजें उनके कानों तक पहुंची भी या नहीं।
आज से तकरीबन दो सौ साल पहले वर्ष 1815 स्काटिश यात्री जेम्स बाइली फ्रेजर ने अपनेे यात्रा वृतांत ‘जर्नल ऑफ ए टूर थ्रू पार्ट ऑफ द स्नोइंग रेंज ऑफ द हिमाला माउंटेंस’ में एक खूबसूरत पडाव का जिक्र किया है। बताते हैं कि वह पडाव धराली ही था। तब से अब तक धराली में ज्यादा कुछ परिवर्तन नहीं हुआ, लेकिन पल भर में प्रकृति ने पूरो भूगोल ही बदल डाला।