Road to Recovery: BRO Builds Alternate Route in Uttarkashi’s Bhagirathi Valley
भटवाडी से गंगनानी के बीच बीआरओ ने तैयार किया वैकल्पिक मार्ग
Uttarkashi road restoration : कल तक गंगनानी में बेली ब्रिज तैयार होने के आसार
Uttarkashi road restoration : उत्तरकाशी, 07 अगस्त 2025 : कल तक कुपित भागीरथी आज कुछ शांत नजर आ रही है। यह अलग बात है कि लहरों की गर्जना अभी भी दिल दहलाने वाली है। कुदरत का क्रोध भी यहीं से नजर आना शुरू हो जाता है। सर्पीली दिखने वाली सडक के बस निशां बाकी हैं। हालांकि बार्डर रोड आर्गनाइजेशन (BRO) के जवानों ने इस विषम भूगोल को अपनी जिजीविषा से चुनौती दे डाली है। दिन रात एक कर उन्होंने भटवाडी से गंगनानी के बीच वैकल्पिक सडक तैयार कर दी। उम्मीदों की यह सडक धराली तक जाएगी, बीच में अडचन है तो बस इतनी कि गंगनानी के पास पुल बह गया है। सेना यहां पर बेली ब्रिज बना रही है। यह पुल जिंदगी का पुल है। इसके तैयार होते ही बचाव दल और मशीनें धराली तक पहुंच पाएंगी।
देहरादून से ऋषिकेश होते हुए उत्तरकाशी तक के सफर में सब कुछ सामान्य सा ही दिखता है। हां, इतना जरूर है कि बीच-बीच में सडक पर मानसून की मार नजर आ जाती है। कुछ स्थानों पर मलबा आने से सडक कहीं-कही संकरी हो गई है, लेकिन बरसात के मौसम में यह दृश्य आम है। जन-जीवन भी सामान्य ही है। उत्तरकाशी से आगे करीब 13 किमी दूर मनेरी तक भी अहसास नहीं होता कि आगे क्या दिखने वाला है। मौसम साफ है और धूप खिली हुई है, बीच-बीच में बादल आकर डर को थोडा बढा देते हैं। कहीं बारिश न हो जाए, इस भय से रीढ की हडडी में सिहरन सी दौड जाती है। मनेरी से आगे की यात्रा में मंजर बदल जाता है। भटवाडी तक 15-16 किलोमीटर की यात्रा में कई जगह बडे-बडे भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। इनको पार करते हुए दिल की धडकनों को काबू में रखना मुुुुुश्किल प्रतीत हो रहा है।
भटवाडी से आगे मानाे दुनिया बदली हुई है। अब भले ही प्रकृति शांत है, लेकिन चारों ओर उसके कोप के निशान बाकी हैं। उधडी हुई सडक, दरकते पहाड, बहे चुके पुलों ने हर्षिल घाटी काे दुनिया से पूरी तरह काट दिया है। आसमान में हेलीकाप्टरों की गडगडाहट बता रही है कि जिंदगी बचाने की जंग में कोशिशें जारी हैं और कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। क्या पता कल गंगनानी में पुल के तैयार होते ही उम्मीदों की सडक पर आशा का सूरज उदय हो जाए।