Uttarkashi Disaster: BRO Teams Race to Build Bailey Bridge for Relief Efforts
Uttarkashi disaster relief : गंगनानी में बेली ब्रिज तैयार करने के लिए पूरी रात चलता रहा काम
Uttarkashi disaster relief : उत्तरकाशी, 09 अगस्त 2025 : प्रकृति के कोप का शिकार बने उत्तरकाशी के धराली तक पहुंचने के लिए जी तोड कोशिशें जारी हैं। हालांकि वहां सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के टीमें मौजूद हैं और सर्च आपरेशन चलाकर मलबे में जीवन के निशां तलाशे जा रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि सडक संपर्क बहाल किए बिना राहत एवं बचाव अभियान को गति देना मुश्किल है। ऐसे में उत्तरकाशी और गंगोत्री के बीच गंगनानी नामक स्थान के पास बार्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) के जवान बेली ब्रिज तैयार करने में जुटे हैं। कल दिन भर और पूरी रात जवान लिमचिगाढ़ नदी के दोनों किनारों को जोडने का प्रयास करते रहे।
दरअसल, हिमालयी क्षेत्र का विषम भूगोल, बार-बार हो रहा भूस्खलन और मौसम का बिगडता मिजाज चुनौतियां पैदा कर रहा है। बेली ब्रिज पर काम शुक्रवार से ही शुरू हो गया था, लेकिन एलाइनमेंट में आ रही गडबडी के कारण इसे दोनों सिरों से जोडनेे में दिक्कते पैदा हो गईं। बताया जा रहा कि पुल के एक एंगल का वजन ही करीब 100 किलो है। ऐसे में जरा सी चूक बडे नुकसान का बायस बन सकती है। इंजीनियर समस्या का समाधान तलाशनेे में जुटे हैं।
इतना ही नहीं, भटवाडी से गंगनानी के बीच वैकल्पिक मार्ग का निर्माण कर लिया गया है, लेकिन दरकते पहाड यहां पर भी परीक्षा ले रहे हैं। बार- बार आ रहा मलबा वाहनों की आवाजाही में रोडे पैदा कर रहा है। मनेरी से धराली के बीच 15 बडे भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। बावजूद इसके वहां मौजूद इंजीनियर और जवान इस चुनौती से जूझने में जुटे हैं। आज सुबह जोलीग्रांट एयर पोर्ट से एक चिनूक हेलीकाप्टर जेनेरेटर सेट लेकर आपदाग्रस्त क्षेत्र के लिए रवाना किया गया, जबकि दूसरा चिनूक ने जनरेटर लेकर धरासू से हर्षिल के लिए उडान भरी है।