Adhuri Diary, Pura Ishq: Ravi Priyanshu’s New Hindi Novel Explores Love and Life
युवा लेखक का रवि प्रियांशु के पहले उपन्यास का भव्य लोकार्पण
देहरादून, 26 अगस्त 2025 : कभी अधूरे पन्ने भी पूरी कहानी कह जाते हैं… और जब उन पन्नों में इश्क़ की ख़ुशबू घुल जाए, तो वह कहानी सिर्फ़ पढ़ी नहीं जाती, महसूस की जाती है। इसी एहसास को लेकर लेखक रवि प्रियांशु के पहले हिंदी उपन्यास “अधूरी डायरी, पूरा इश्क़” का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में साहित्य, शिक्षा और समाज की जानी-मानी हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष बना दिया।
मांगलवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयेजित हुए लोकार्पण कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, विशेष अतिथि डीएवी पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. देवेंद्र भसीन, डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. कुंवर कौशल कुमार, क्लीनिकल साइक्लॉजिस्ट डॉ. मुकुल शर्मा और साईं ग्रेस एकेडमी इंटरनेशनल के निदेशक समयजीत सिंह ने मां सरस्वती के सामने दीप प्रज्ज्वजित कर किया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि ने उपन्यास अधूरी डायरी, पूरा इश्क़ की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल एक प्रेमकथा नहीं, बल्कि इसमें छिपा रोमांच, रहस्य और संवेदनाएं पाठकों को भीतर तक झकझोर देंगी। लेखक रवि प्रियांशु ने युवाओं की भावनाओं को जिस सहज भाषा और गहरी संवेदना के साथ कागज़ पर उतारा है, वह काबिले-तारीफ़ है। कहा कि आज के दौर में जब युवा वर्ग हिन्दी साहित्य से दूरी बना रहा है, ऐसे में इस तरह का उपन्यास निश्चित ही उन्हें हिन्दी के और करीब लाएगा। इसमें रचे गए पात्र—आदित्य, अन्विता, आयुष और रहस्यमयी किरदार—पाठकों के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास आने वाले समय में न सिर्फ़ युवाओं के बीच लोकप्रिय होगा, बल्कि हिन्दी साहित्य को नई ऊर्जा भी देगा।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि डॉ. देवेंद्र भसीन ने कहा कि इस कृति की भाषा सरल होते हुए भी संवेदनाओं से परिपूर्ण है। यही कारण है कि यह रचना युवावर्ग को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करेगी। डॉ. कौशल कुमार ने कहा कि यह उपन्यास पाठकों को भीतर तक छुएगा और आने वाले समय में हिन्दी साहित्य की लोकप्रिय कृतियों में अपनी जगह बनाएगा। इस मौके पर कार्यक्रम का संचलन करते हुए लक्ष्मी प्रसाद बडोनी ने कहा कि यह उपन्यास युवाओं के बीच प्रेम, विश्वास और रिश्तों की जटिलताओं को नई दृष्टि से प्रस्तुत करता है। समाजसेवी व प्रख्यात क्लीनिकल साइक्लॉजिस्ट डॉ. मुकुल शर्मा ने कहा कि उपन्यास न केवल एक प्रेमकथा है, बल्कि समाज और इंसान के भीतर छिपे द्वंद्व को भी उजागर करता है।
लेखक रवि प्रियांशु ने सभी अतिथियों और पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपन्यास केवल मेरे सपनों की उपज नहीं, बल्कि मेरी संवेदनाओं और जीवन-अनुभवों की सजीव अभिव्यक्ति है। मैंने इसे समाज और पाठकों के सामने एक दर्पण की तरह रखा है, ताकि हर कोई इसमें कहीं-न-कहीं अपनी परछाईं देख सके। बताया कि कहानी विशेष रूप से 17 से 40 वर्ष की आयु के पाठकों को केंद्रित करती है, क्योंकि यही वह दौर है जहां प्रेम, संघर्ष, दोस्ती, मोहब्बत और बदले की भावनाएं अपने चरम पर होती हैं। भाषा-शैली पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज साहित्यिक भाषा और आम बोलचाल की भाषा का संतुलित संगम ही पाठकों तक गहराई से पहुंच सकता है। यही कारण है कि ‘अधूरी डायरी, पूरा इश्क़’ सहज, सरल और प्रवाहमयी भाषा में लिखी गई है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह उपन्यास न सिर्फ़ युवा पीढ़ी को हिन्दी के प्रति फिर से जोड़ने का काम करेगा, बल्कि उन्हें यह एहसास भी दिलाएगा कि प्रेम और रिश्तों की कहानियाँ समय के साथ बदलती जरूर हैं, पर उनकी गहराई और सच्चाई कभी अधूरी नहीं होती।
इस अवसर पर समाजसेवी प्रिया गुलाटी, सहारनपुर से पूर्व जिला पंचायत सदस्य आशा लता, साईं ग्रेस अकेडमी इंटरनेशनल के निदेशक समरजीत सिंह, दून फिल्म स्कूल के निदेशक देवी दत्त, उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी सहित साहित्य एवं समाजसेवा से जुड़े अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।