Almora Nanda Sunanda Mela Concludes, Devotees Bid Emotional Farewell
अल्मोड़ा, 4 सितंबर, 2025: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में मां नंदा-सुनंदा का ऐतिहासिक मेला रविवार को अपार आस्था और उल्लास के बीच संपन्न हो गया। मां की विदाई के क्षणों में पूरा वातावरण भावुक हो उठा, जैसे कोई बेटी अपने मायके से विदा हो रही हो। इस दौरान हजारों भक्तों ने नम आंखों से मां को विदाई दी और सुख-समृद्धि की कामना की।
मेले के अंतिम दिन, शाम करीब चार बजे मां नंदा की शोभायात्रा पारंपरिक भक्तिमय माहौल में मंदिर परिसर से शुरू हुई। जयकारों और ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच, शोभायात्रा लाला बाजार, माल रोड और सीढ़ी बाजार होते हुए जीजीआईसी परिसर पहुंची। यहां भव्य आरती के बाद यह यात्रा दुगालखोला पहुंची, जहां नौला स्थल पर मां नंदा-सुनंदा की प्रतिमाओं का विधिवत विसर्जन किया गया। विसर्जन के समय मां के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
यह ऐतिहासिक मेला भाद्रपद पंचमी से शुरू होकर दशमी तक चलता है। इसकी शुरुआत कदली वृक्षों के आमंत्रण से होती है, जिससे मां की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। अष्टमी और नवमी को विशेष पूजा-अर्चना के बाद, दशमी को शोभायात्रा निकाली जाती है, जो विदाई का प्रतीक है। कुमाऊं में मां नंदा-सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है और इस मेले की परंपरा चंद राजवंश के समय से चली आ रही है। आज भी राजवंश के वंशज इस मेले की पूजा में शामिल होकर इस सदियों पुरानी परंपरा को निभाते हैं।
इस वर्ष भी अल्मोड़ा का नंदा देवी मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्भुत संगम रहा। हजारों की भीड़ ने यह साबित किया कि आज भी लोगों के दिलों में अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए गहरी आस्था जीवित है।