Badrinath Temple Celebrates Mata Murti Utsav on Waman Dwadashi
बदरीनाथ, 4 सितंबर 2025 : उत्तराखंड के बदरीनाथ धाम में आज वामन द्वादशी के पावन पर्व पर एक अद्भुत और ऐतिहासिक परंपरा का निर्वाह किया गया। भगवान बदरीविशाल अपनी माता मूर्ति से मिलने के लिए माणा गांव स्थित उनके मंदिर पहुँचे, जहाँ माता-पुत्र के इस मिलन के साक्षी बनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े।
यह सदियों पुरानी परंपरा माता और पुत्र के अटूट बंधन का प्रतीक है, जो हर साल वामन द्वादशी के अवसर पर पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ निभाई जाती है।
सुबह 9:30 बजे बाल भोग के बाद भगवान बदरीविशाल के प्रतिनिधि श्री उद्धव जी गर्भगृह से बाहर आए, जिसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। सेना के बैंड की मधुर धुनों और श्रद्धालुओं के ‘जय बदरीविशाल’ के जयकारों के बीच भगवान की डोली, श्री उद्धव जी और आदिगुरु जी की डोली के साथ माणा गांव के लिए रवाना हुई। यात्रा के दौरान, माणा गांव की महिलाओं ने पारंपरिक रूप से जौ की हरियाली भेंट कर डोली का भव्य स्वागत किया, जिसने इस उत्सव में और भी अधिक उत्साह भर दिया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग में नर-नारायण ने माता मूर्ति से तपस्वी बनने का वरदान मांगा था। इस पर माता ने वचन दिया था कि वे साल में एक बार उनसे मिलने आएंगे। तब से यह परंपरा चली आ रही है। सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद रहे, क्योंकि इस दौरान भगवान ने अपनी माता की गोद में भोग और अभिषेक ग्रहण किया। माता-पुत्र के इस अनोखे मिलन को देखने के लिए भक्तों में गजब का उत्साह देखा गया।