उत्तरकाशी, 7 सितंबर 2025 । हरे-भरे दयारा बुग्याल में इस बार अढूंडी उत्सव (बटर फेस्टिवल) सामान्य तिथि से बीस दिन बाद आयोजित हुआ। धराली आपदा के कारण पर्व की तिथि टल गई थी। शनिवार को आयोजित इस परंपरागत आयोजन में ग्रामीणों ने दूध, दही और मक्खन से एक-दूसरे को सराबोर कर पर्व की खुशी साझा की।
उत्सव का आगाज़ राधा-कृष्ण की झांकी के साथ हुआ, जहां पात्रों ने दही की हांडी फोड़कर ग्रामीणों को आशीर्वाद दिया। ढोल-दमांऊ की थाप पर पारंपरिक रासो-तांदी नृत्य ने माहौल को उल्लास से भर दिया।
हर साल भाद्रपद संक्रांति पर दयारा बुग्याल पर्यटन समिति और रैथल सहित आसपास के ग्रामीण इस पर्व का आयोजन करते हैं। सावन महीने में ग्रामीण बुग्यालों में अपने मवेशियों के साथ रहते हुए दूध-दही-मक्खन जमा करते हैं, जिसे बाद में उत्सव में देवताओं और वन देवियों को भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है।
समिति अध्यक्ष मनोज राणा और सदस्य पृथ्वीराज राणा के अनुसार, इस बार उत्सव अपेक्षाकृत सादगी से मनाना पड़ा। आपदा के असर के चलते बुग्याल में ग्रामीणों की उपस्थिति भी सीमित रही।