Uttarakhand CM Seeks National Collaboration to Combat Landslides
आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री धामी से मिली अंतर-मंत्रालयी टीम
देहरादून, 10 सितंबर 2025 : उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ से हो रहे गंभीर नुकसान के बीच, मुख्यमंत्री ने आपदा से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक बेहतर पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करना बेहद ज़रूरी है। बुधवार को सचिवालय में भारत सरकार की एक अंतर-मंत्रालयी टीम से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की इस संवेदनशीलता पर चिंता जाहिर की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और हर साल मानसून में भूस्खलन, बाढ़ और जल भराव जैसी समस्याओं से जूझता है। इस साल भारी बारिश ने राज्य में जान-माल का भारी नुकसान किया है। उन्होंने बताया कि बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से जमीन को इतना स्थायी नुकसान होता है कि उन जगहों पर दोबारा खेती या निर्माण करना संभव नहीं रहता। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए एक प्रभावी कार्ययोजना पर जोर दिया।
गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव आर. प्रसन्ना के नेतृत्व में आई केंद्रीय टीम ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, चमोली, बागेश्वर और नैनीताल जिलों में हुए नुकसान का जायजा लिया। टीम ने मुख्यमंत्री को बताया कि उन्होंने प्रभावित लोगों से भी बात की है और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के लिए राहत शिविरों में रहने, खाने और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था काफी बेहतर है।
केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और जिनके घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उनको भी इतनी ही तात्कालिक सहायता देने की पहल की सराहना की। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं के संपूर्ण डेटा और उनके स्वास्थ्य पर लगातार नज़र रखने की व्यवस्था की भी टीम ने तारीफ की और कहा कि वे इस महत्वपूर्ण पहल को अन्य राज्यों में भी अपनाने का सुझाव देंगे।
टीम ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों के दौरे के दौरान यह भी सामने आया है कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण नदियों में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो गई है, जिससे उनका जलस्तर बढ़ रहा है और भविष्य में और नुकसान होने की संभावना है।
बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्धन, अपर मुख्य सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप भी मौजूद थे।