Indian Scientists Discover Two New Black Fungus Species in Western Ghats Soil
पुणे, 11 सितंबर 2025 : मिट्टी में कई ऐसे राज छिपे हैं, जिनके बारे में विज्ञान अभी भी बहुत कम जानता है। इन्हीं रहस्यों को उजागर करते हुए भारत के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। पुणे स्थित एमएसीएस-अगरकर अनुसंधान संस्थान (ARI) के शोधकर्ताओं ने मिट्टी से ‘ब्लैक फंगस’ की दो बिल्कुल नई प्रजातियों की खोज की है। ये फंगस न केवल औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं, बल्कि नई दवाओं की खोज का रास्ता भी खोल सकती हैं।
ये दोनों नई प्रजातियाँ — Aspergillus dhakefalckeri और Aspergillus patriciaviltshyrii — भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट, पश्चिमी घाट की मिट्टी से मिली हैं। यह पहली बार है जब भारत की किसी वैज्ञानिक टीम ने इस तरह की फंगस की नई प्रजातियों की खोज करके उनका वैज्ञानिक नामकरण किया है। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने पहली बार भारत में दो और दुर्लभ प्रजातियों — A. aculeatinus और A. brunneoviolaceus — की मौजूदगी भी दर्ज की है। यह खोज इस बात का प्रमाण है कि पश्चिमी घाट जैसे जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र आज भी वैज्ञानिक रहस्यों से भरे हुए हैं।
पहचान का तरीका
वैज्ञानिकों ने डीएनए-आधारित आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया।
इसके लिए ITS, CaM, BenA और RPB2 जैसे जीन्स का गहन विश्लेषण किया गया।
यह साबित करने के लिए कि ये वाकई नई प्रजातियाँ हैं, बहु-जीन फाइलोजेनेटिक एनालिसिस (multi-gene phylogenetic analysis) का इस्तेमाल किया गया।
नई प्रजातियों की खास बातें
- Aspergillus dhakefalckeri: यह तेज़ी से बढ़ती है, हल्के से गहरे भूरे रंग की होती है और पीले-नारंगी रंग के छोटे स्क्लेरोटिया (गाँठ जैसी संरचना) बनाती है।
- Aspergillus patriciaviltshyrii: इसकी कॉलोनियाँ भी बहुत तेज़ी से बढ़ती हैं। यह भी पीले-नारंगी स्क्लेरोटिया बनाती है, लेकिन इसकी अनूठी बनावट इसे बाकी फंगस से अलग करती है।
इस खोज के क्या फायदे होंगे
- उद्योग और खेती में क्रांति: ये फंगस साइट्रिक एसिड जैसे कई महत्वपूर्ण बायोकेमिकल्स बनाने में सहायक हो सकती हैं। कुछ फंगस पौधों के लिए ज़रूरी फॉस्फेट को घोलने में मदद कर सकती हैं, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
- दवा और अनुसंधान: कई फंगस से एंटीबायोटिक और अन्य दवाएँ बनती हैं। ये नई प्रजातियाँ नई और प्रभावी दवाओं की खोज का आधार बन सकती हैं।
- पर्यावरण संरक्षण: यह खोज बताती है कि हमारी मिट्टी में अभी भी बहुत सारी अनदेखी जैव विविधता मौजूद है, जिसे बचाना और समझना बहुत ज़रूरी है।
- वैज्ञानिक शक्ति का प्रदर्शन: यह खोज साबित करती है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर फंगस वर्गीकरण जैसे जटिल वैज्ञानिक क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
शोध टीम
- इस शोध का नेतृत्व डॉ. राजेश कुमार के.सी., डॉ. हरिकृष्णन के., और डॉ. रवींद्र एम. पाटिल ने किया।
- यह परियोजना ARI पुणे में हुई, जिसे भारत सरकार के ANRF (पूर्ववर्ती SERB) ने फंड किया था।