Uttarakhand’s ‘Buransh and Padm Flower Week’ Festival: Promoting Tourism and Livelihoods

पारिस्थितिकी की जान बुरांश और पद्म
बुरांश और पद्म सिर्फ आकर्षक पुष्प ही नहीं, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। बुरांश के फूलों से तैयार शरबत औषधीय गुणों से भरपूर होता है। पद्म के फूल और पत्तियां धार्मिक अनुष्ठानों में काम आती हैं। दोनों ही पेड़ परिंदों, तितलियों और मधुमक्खियों के लिए प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराते हैं।
जागरूकता, मनोरंजन और ज्ञानवर्धन
महोत्सव के दौरान लोगों को सतत दोहन, पौधारोपण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी जागरूक किया जाएगा। महोत्सव में स्थानीय समुदाय, स्कूली छात्र, शोधकर्ता, पर्यावरणविद् और पर्यटक सबकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। विद्यालयों में प्रतियोगिताएं, लोकनृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम, औषधीय ज्ञान पर कार्यशालाएं और फूलों से बने उत्पादों की प्रदर्शनी भी आयोजित होंगी।
पर्यटन के साथ आजीविका को भी बढ़ावा
यह महोत्सव न केवल राज्य की जैवविविधता को संरक्षित करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नई जान फूंकेगा। बुरांश के शरबत, वाइन, जैम, अचार जैसे उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। पद्म फूलों से जुड़ी हर्बल औषधियों का भी बाजार विकसित होगा।
जलवायु परिवर्तन पर नई पहल
बुरांश व पद्म फ्लॉवर वीक के दौरान वैज्ञानिकों की टीम बुरांश और पद्म के फूलने के पैटर्न पर अध्ययन करेंगी, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन किया जा सके। इससे न केवल बुरांश व पद्म के संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी, बल्कि भविष्य के ईको-टूरिज्म प्लानिंग में की राह भी आसान होगी।
बेतहाशा दोहन से संकट में बुरांश
उत्तराखंड में बुरांश पर जलवायु परिवर्तन के साथ ही बेतहाशा दोहन के कारण संकट मंडरा रहा है। ऐसे में यह न केवल समय से पहले खिल रहा है, बल्कि इसकी गुणवत्ता भी घट रही है। प्राकृतिक उत्पादों के कम होने से औषधीय और वाणिज्यिक उपयोग पर भी खतरा है।
जापान ओ दक्षिण कोरिया भी चेरी ब्लॉसम महोत्सव के दीवाने
दक्षिण कोरिया का सबसे बड़ा चेरी ब्लॉसम महोत्सव (Cherry Blossom Festival) दक्षिण-पूर्वी जिन्हाई शहर में आयोजित होता है, जहां 25 हजार से अधिक चेरी ब्लॉसम के पेड़ हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में हान नदी के किनारे आयोजित होने वाला येओइदो चेरी ब्लॉसम महोत्सव भी लोकप्रिय है। इसी तरह जापान और भारत मे मेघालय समेत दुनिया मे अन्य स्थानों पर भी चेरी के पेड़ों के खिलने के समय चेरी ब्लॉसम उत्सव मनाया जाता है। जापान में इसे ‘सकुरा’ कहते हैं, जो वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। जबकि, भारत में मेघालय की राजधानी शिलांग में शरद ऋतु के दौरान चेरी ब्लॉसम उत्सव मनाने की परंपरा है। इस अवसर पर लाखों लोग चेरी ब्लॉसम के खिले फूलों को निहारने के साथ संगीत, नृत्य, कला और स्थानीय व्यंजनों का आनंद लेते हैं। वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में यह वर्ष 1912 में टोक्यो से उपहार में मिले चेरी के पेड़ों की याद में मनाया जाने वाला वसंत उत्सव है।
