Dr. Brij Mohan Sharma on Food Adulteration at The Dehradun Dialogue
त्यौहारी सीजन में सावधान, घर में ही करें मिलावट की पहचान
पढें, दूध, चीनी, चायपत्ती, दालें, नमक, हल्दी की कैसे पहचानें शुद्धता
देहरादून, 19 सितंबर 2025 : शहर में बढ़ते खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। हाल ही में देहरादून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर (DLRC) और स्पेक्स (SPECS) द्वारा आयोजित ‘द देहरादून डायलॉग’ कार्यक्रम में पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. बृज मोहन शर्मा ने खाद्य मिलावट की भयावह सच्चाई से लोगों को अवगत कराया।
Dr. Brij Mohan Sharma on Food Adulteration at The Dehradun Dialogueत्यौहारी सीजन में सावधान, घर में ही करें मिलावट की पहचानपढें, दूध, चीनी, चायपत्ती, दालें, नमक, हल्दी की कैसे पहचानें शुद्धताघर में ऐसे करें परीक्षणदूध : दूध का घनत्व पानी से अधिक होती है, इसलिए यदि दूध में पानी मिलाया गया हो, तो वह चिकनी सतह पर तेजी से फैल जाता है। एक बूंद दूध को टाइल या काँच की प्लेट पर गिराकर देखा जा सकता है—शुद्ध दूध धीरे फैलेगा, जबकि मिलावटी दूध पानी जैसा फैल जाएगा।हल्दी : प्राकृतिक हल्दी पानी में पूरी तरह नहीं घुलती और उसका रंग हल्का होता है, जबकि मिलावटी हल्दी (जिसमें मेथेनिल येलो या क्रोमियम येलो जैसे रंग मिलाए जाते हैं) पानी में घुलकर गहरा रंग छोड़ती है। एक चुटकी हल्दी को गर्म पानी में डालने पर यदि पानी गहरा नारंगी हो जाए, तो वह मिलावटी है।चीनी : चीनी में चॉक पाउडर की मिलावट। चॉक (कैल्शियम कार्बोनेट) पानी में नहीं घुलता, जबकि चीनी पूरी तरह घुल जाती है। एक गिलास पानी में थोड़ी चीनी मिलाकर यदि तल में सफेद अवशेष रह जाए, तो वह चॉक की मिलावट का संकेत है।चायपत्ती : इसी तरह चाय की पत्तियों में कृत्रिम रंग की मिलावट को भी आसानी से पहचाना जा सकता है। प्राकृतिक चाय की पत्तियाँ धीरे-धीरे हल्का रंग छोड़ती हैं, जबकि मिलावटी चाय (जिसमें रंग मिलाया गया हो) तुरंत गहरा भूरा या काला रंग छोड़ देती है। यह परीक्षण एक कप गर्म पानी में चाय की पत्तियाँ डालकर किया जा सकता है।आटा : आटे में मैदा या चूना की मिलावट की पहचान के लिए दो परीक्षण हैं। पहला – एक चम्मच आटे में नींबू का रस डालें; यदि झाग उठे, तो उसमें चूना हो सकता है। दूसरा – आटे को पानी में घोलकर उसकी बनावट महसूस करें; मैदा चिकना और लसलसा होगा, जबकि शुद्ध गेहूं का आटा अपेक्षाकृत दानेदार होगा।नमक : आमतौर पर नमक में सफेद मिट्टी, टैल्क पाउडर या पाउडर पत्थर की मिलावट की जाती है। इसे पहचानने के लिए नमक को पानी में घोलकर कुछ समय के लिए रखा जाए—यदि कोई सफेद अवशेष तल में बैठ जाए, तो वह मिलावट का संकेत है। इसके अलावा, अशुद्ध नमक अक्सर जल्दी नमी खींचता है और जम जाता है, जबकि शुद्ध आयोडीनयुक्त नमक हल्का और दानेदार रहता है।दालें : दालों को चमकदार और नया दिखाने के लिए उनमें पॉलिशिंग एजेंट्स और कृत्रिम रंग मिलाए जाते हैं। विशेष रूप से चना, अरहर और मसूर की दालों में यह अधिक देखा गया है। इन्हें पहचानने के लिए दालों को पानी में भिगोया जाए—यदि पानी रंगीन हो जाए या दाल की सतह से कोई परत उतरने लगे, तो समझना चाहिए कि उसमें पॉलिशिंग या रंग की मिलावट है।सब्जियां : सब्जियों को artificially ताज़ा और चमकदार दिखाने के लिए वेक्सिंग एजेंट्स, रासायनिक कोटिंग और पॉलिशिंग पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ तक कि कई बार एथिलीन या कैल्शियम कार्बाइड गैस का उपयोग अधपके फलों को तेजी से पकाने के लिए किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। ऐसी सब्ज़ियों और फलों की सतह अधिक चिकनी और अस्वाभाविक रूप से चमकदार होती है, जिनसे सावधान रहना चाहिए।
अपने व्याख्यान में डॉ. शर्मा ने बताया कि आज हमारे दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले लगभग सभी खाद्य पदार्थ मिलावट का शिकार हैं। उन्होंने कुछ सामान्य मिलावटों का खुलासा किया, जैसे दूध में यूरिया और डिटर्जेंट, पनीर में कृत्रिम तेल, और घी में वनस्पति। इसी तरह, मसालों में हल्दी में क्रोमियम येलो, मिर्च में लाल ऑक्साइड, और धनिया पाउडर में लकड़ी का बुरादा मिलाया जा रहा है। यहां तक कि आटे और पूजा सामग्री में भी मिलावट हो रही है।
डॉ. शर्मा ने इस मिलावट के गंभीर परिणामों के प्रति आगाह किया। उन्होंने बताया कि यह मिलावट सिर्फ एक आर्थिक धोखा नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। मिलावटी पदार्थों का सेवन कैंसर, किडनी रोग, हार्मोनल असंतुलन और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज को जागरूक करना और मिलावट के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित करना था। डॉ. शर्मा ने कहा कि हमें न सिर्फ इन मिलावटों को पहचानना सीखना होगा, बल्कि अपनी सेहत के प्रति भी अधिक सजग रहना होगा। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
डॉ. शर्मा ने गर्वपूर्वक बताया कि वर्ष 2004 में स्पेक्स ने एक नवाचार “रसोई कसौटी” नामक किट विकसित की, जिससे घर पर ही खाद्य वस्तुओं की शुद्धता जांची जा सकती है। यह किट भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त है और इसका उपयोग देशभर के सभी राज्यों और जिलों में किया गया है। यह भारत के विज्ञान क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में स्थापित हुआ है। यह पहल श्री देव सुमन विश्वविद्यालय, उत्तरांचल विश्वविद्यालय, समय साक्ष्य और स्पीकिंग क्यूब के सहयोग से की गई थी।
घर में ऐसे करें परीक्षण
दूध : दूध का घनत्व पानी से अधिक होती है, इसलिए यदि दूध में पानी मिलाया गया हो, तो वह चिकनी सतह पर तेजी से फैल जाता है। एक बूंद दूध को टाइल या काँच की प्लेट पर गिराकर देखा जा सकता है—शुद्ध दूध धीरे फैलेगा, जबकि मिलावटी दूध पानी जैसा फैल जाएगा।
हल्दी : प्राकृतिक हल्दी पानी में पूरी तरह नहीं घुलती और उसका रंग हल्का होता है, जबकि मिलावटी हल्दी (जिसमें मेथेनिल येलो या क्रोमियम येलो जैसे रंग मिलाए जाते हैं) पानी में घुलकर गहरा रंग छोड़ती है। एक चुटकी हल्दी को गर्म पानी में डालने पर यदि पानी गहरा नारंगी हो जाए, तो वह मिलावटी है।
चीनी : चीनी में चॉक पाउडर की मिलावट। चॉक (कैल्शियम कार्बोनेट) पानी में नहीं घुलता, जबकि चीनी पूरी तरह घुल जाती है। एक गिलास पानी में थोड़ी चीनी मिलाकर यदि तल में सफेद अवशेष रह जाए, तो वह चॉक की मिलावट का संकेत है।
चायपत्ती : इसी तरह चाय की पत्तियों में कृत्रिम रंग की मिलावट को भी आसानी से पहचाना जा सकता है। प्राकृतिक चाय की पत्तियाँ धीरे-धीरे हल्का रंग छोड़ती हैं, जबकि मिलावटी चाय (जिसमें रंग मिलाया गया हो) तुरंत गहरा भूरा या काला रंग छोड़ देती है। यह परीक्षण एक कप गर्म पानी में चाय की पत्तियाँ डालकर किया जा सकता है।
आटा : आटे में मैदा या चूना की मिलावट की पहचान के लिए दो परीक्षण हैं। पहला – एक चम्मच आटे में नींबू का रस डालें; यदि झाग उठे, तो उसमें चूना हो सकता है। दूसरा – आटे को पानी में घोलकर उसकी बनावट महसूस करें; मैदा चिकना और लसलसा होगा, जबकि शुद्ध गेहूं का आटा अपेक्षाकृत दानेदार होगा।
नमक : आमतौर पर नमक में सफेद मिट्टी, टैल्क पाउडर या पाउडर पत्थर की मिलावट की जाती है। इसे पहचानने के लिए नमक को पानी में घोलकर कुछ समय के लिए रखा जाए—यदि कोई सफेद अवशेष तल में बैठ जाए, तो वह मिलावट का संकेत है। इसके अलावा, अशुद्ध नमक अक्सर जल्दी नमी खींचता है और जम जाता है, जबकि शुद्ध आयोडीनयुक्त नमक हल्का और दानेदार रहता है।
दालें : दालों को चमकदार और नया दिखाने के लिए उनमें पॉलिशिंग एजेंट्स और कृत्रिम रंग मिलाए जाते हैं। विशेष रूप से चना, अरहर और मसूर की दालों में यह अधिक देखा गया है। इन्हें पहचानने के लिए दालों को पानी में भिगोया जाए—यदि पानी रंगीन हो जाए या दाल की सतह से कोई परत उतरने लगे, तो समझना चाहिए कि उसमें पॉलिशिंग या रंग की मिलावट है।
सब्जियां : सब्जियों को artificially ताज़ा और चमकदार दिखाने के लिए वेक्सिंग एजेंट्स, रासायनिक कोटिंग और पॉलिशिंग पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ तक कि कई बार एथिलीन या कैल्शियम कार्बाइड गैस का उपयोग अधपके फलों को तेजी से पकाने के लिए किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। ऐसी सब्ज़ियों और फलों की सतह अधिक चिकनी और अस्वाभाविक रूप से चमकदार होती है, जिनसे सावधान रहना चाहिए।