Coffee Detective: Detect Harmful Colors in Food & Cosmetics Easily
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025 : सुबह की कॉफ़ी सिर्फ आपको जगा ही नहीं रही है, बल्कि अब खाना-पीना और सौंदर्य उत्पादों में छिपे खतरनाक रंगों का पता लगाने वाली सुपर-डिटेक्टिव भी बन गई है! कॉफ़ी के दाग में छुपा है विज्ञान का जादू, जो आम आदमी की सुरक्षा के लिए काम आ सकता है।
कॉफ़ी डिटेक्टिव कैसे काम करता है?
जब कॉफ़ी की बूंद टेबल पर गिरती और सूखती है, तो इसके किनारे पर गहरा घेरा बनता है। यही है कॉफ़ी डिटेक्टिव का पहला सुराग। शोधकर्ताओं ने पाया कि इसी पैटर्न का इस्तेमाल करके हम हानिकारक रंग और रसायन पहचान सकते हैं।
आरआरआई (Raman Research Institute) के वैज्ञानिकों ने सोने की नैनो छड़ें मिलाकर इस दाग को सुपर-सेंसिटिव डिटेक्टिव बना दिया। जैसे ही बूंद सूखती है, ये नैनो छड़ें किनारे पर जमा होकर चमकदार पैटर्न बनाती हैं। जब इस पैटर्न पर लेज़र डाला जाता है, तो हानिकारक रंग तुरंत “कैच” हो जाता है।
खतरनाक रंग रोडामाइन बी
- कपड़े, क्रीम और कभी-कभी खाने में इस्तेमाल होता है।
- त्वचा, आंख और सांस के लिए हानिकारक।
- पानी और मिट्टी में लंबे समय तक रहकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।
कॉफ़ी डिटेक्टिव का आम आदमी के लिए फायदा:
- सुरक्षित खाना और पेय: दुकानों या घर में पता चलेगा कि खाना और पानी सुरक्षित हैं या नहीं।
- सौंदर्य उत्पादों की सुरक्षा: लिपस्टिक, क्रीम या पाउडर में हानिकारक रंग हैं या नहीं, यह आसानी से दिख सकेगा।
- पर्यावरण की रक्षा: पानी और मिट्टी में हानिकारक रसायन कम करने में मदद।
- सस्ती और आसान तकनीक: बिना महंगे उपकरणों के भी काम कर सकती है।
वैज्ञानिक कहते हैं:
आरआरआई की प्रोफेसर रंजिनी बंद्योपाध्याय बताती हैं, “कॉफ़ी के दाग जैसे सरल पैटर्न का इस्तेमाल कर हम बहुत ही कम मात्रा में विषैले पदार्थ पकड़ सकते हैं। यह तरीका सस्ता, तेज़ और असरदार है।”
तो अगली बार जब आप कॉफ़ी पीएँ और टेबल पर उसका दाग देखें, याद रखिए – आपके सामने है सुपर-डिटेक्टिव कॉफ़ी, जो आपके लिए खाना, सौंदर्य उत्पाद और पर्यावरण की सुरक्षा की गारंटी दे सकता है।