Uttarakhand to Implement Green Cess on Out-of-State Vehicles for Clean Air Mission
देहरादून, 27 अक्टूबर 2025 : उत्तराखण्ड के गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को घोषणा की कि राज्य में जल्द ही “ग्रीन सेस” लागू किया जाएगा। यह शुल्क उत्तराखण्ड की सीमाओं में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के वाहनों से वसूला जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह पहल उत्तराखण्ड को स्वच्छ, हरित और प्रदूषण-मुक्त बनाने की दिशा में सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि ग्रीन सेस से प्राप्त धनराशि का उपयोग वायु गुणवत्ता सुधार, सड़क धूल नियंत्रण, हरित अवसंरचना निर्माण और स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन जैसी परियोजनाओं में किया जाएगा।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) के मेंबर सेक्रेटरी डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि बोर्ड के हालिया सर्वेक्षण में देहरादून में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़क की धूल पाई गई है, जो कुल प्रदूषण का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि वाहन उत्सर्जन करीब 7 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि ग्रीन सेस से सड़क धूल नियंत्रण और स्वच्छ वाहन नीति को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य के प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता में ठोस सुधार होगा।
सरकार का अनुमान है कि ग्रीन सेस से राज्य को हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी, जिसे वायु निगरानी, हरित क्षेत्र विस्तार और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम के विकास में लगाया जाएगा।
इस नीति के तहत केवल बाहरी राज्यों के पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों से शुल्क वसूला जाएगा, जबकि इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन, सोलर और बैटरी चालित वाहनों को छूट दी जाएगी।
गौरतलब है कि भारत सरकार के “स्वच्छ वायु सर्वेक्षण–2024” में उत्तराखण्ड के शहरों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था — ऋषिकेश देश में 14वें और देहरादून 19वें स्थान पर रहा। सरकार को उम्मीद है कि “ग्रीन सेस” से यह उपलब्धि और सुदृढ़ होगी।
