Sparsh Himalaya Festival 2025: Global Celebration of Indian Literature, Art and Culture in Uttarakhand’s Lekhak Gaon
देहरादून, 29 अक्टूबर 2025 : देवभूमि उत्तराखंड के सुरम्य हिमालयी अंचल में स्थित भारत का प्रथम “लेखक गाँव” आगामी 3 से 5 नवम्बर 2025 तक विश्व साहित्य, संस्कृति और कला का केंद्र बनने जा रहा है। इस दौरान यहाँ स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025 का आयोजन होगा, जो भारतीयता, सृजनशीलता और हिंदी भाषा के वैश्विक प्रसार को समर्पित एक ऐतिहासिक आयोजन माना जा रहा है।
यह तीन दिवसीय महोत्सव डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के संरक्षण एवं स्पर्श हिमालय फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होगा। इस आयोजन में 60 से अधिक देशों के साहित्यकार, कलाकार, शिक्षाविद, पर्यावरणविद् और युवा रचनाकार भाग लेंगे, जो भारतीय संस्कृति के संदेश को विश्व पटल तक पहुँचाएँगे।
महोत्सव का भव्य उद्घाटन 3 नवम्बर को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत करेंगे। उद्घाटन सत्र का विषय रहेगा – “भारतीय साहित्य, संस्कृति और कला का वैश्विक विस्तार”। इस अवसर पर प्रसिद्ध गायक पद्मश्री कैलाश खेर अपनी प्रस्तुति देंगे, जबकि आर्यभट्ट प्रेक्षण एवं अनुसंधान विज्ञान संस्थान द्वारा आयोजित “तारामंडल दर्शन” कार्यक्रम प्रतिभागियों को विज्ञान और प्रकृति के संगम का अनोखा अनुभव कराएगा।
4 नवम्बर को महोत्सव में मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति रहेगी। इस दिन “हिंदी को विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने” और “नवोदित लेखकों की नई दृष्टि” जैसे विषयों पर संवाद होंगे। शाम को दून सांस्कृतिक स्कूल के आदिवासी छात्र लोकनृत्य प्रस्तुत करेंगे, जबकि स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय का नाट्य विभाग अपनी नाट्यकला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगा।
5 नवम्बर को समापन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) की उपस्थिति रहेगी। इस अवसर पर साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, पर्यावरण और कला क्षेत्र की विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा। कला सत्र में पद्मभूषण चित्रकार जतीन दास, छायाकार त्रिलोक कपूर और कलाकार आदित्य नारायण अपनी सृजनात्मक दृष्टि साझा करेंगे।डॉ. निशंक ने कहा कि “स्पर्श हिमालय महोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और सृजन का वैश्विक उत्सव है, जो आने वाली पीढ़ियों को भारतीयता और आत्मगौरव की नई प्रेरणा देगा।”
“लेखक गाँव” अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न का साकार रूप है — जहाँ साहित्य, कला और संस्कृति हिमालय की गोद में नई ऊर्जा के साथ पुनः जीवंत हो रहे हैं।
