Neelam Chauhan: Inspiring Homestay Success Story from the Hills of Uttarakhand
सपनों से भी ऊंची पहाड़ की बेटी की उड़ान
देहरादून, 14 नवंबर 2025 : पहाड़ों की पगडंडियों से लेकर आत्मनिर्भरता की ऊंचाइयों तक पहुंचने का नीलम चौहान का सफर आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। चकराता ब्लॉक के छोटे से गांव पाटी की रहने वाली नीलम ने यह साबित कर दिखाया कि अगर हौसले बुलंद हों तो सीमित संसाधन भी सफलता की कहानी लिख सकते हैं।
वर्ष 2022-23 में नीलम ने पर्यटन विभाग की पंडित दीनदयाल उपाध्याय होमस्टे योजना के तहत 15 लाख की राजकीय सहायता लेकर अपना सपना साकार किया। पहाड़ी शैली की वास्तुकला में बना उनका ‘हरुल-ए-बुटीक होमस्टे’ आज पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन चुका है। छह भवनों और डाइनिंग हॉल वाला यह होमस्टे न केवल चकराता की सुंदर वादियों का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है, बल्कि पहाड़ी व्यंजनों जैसे मंडवे की रोटी, गहत का शूप और झंगोरे की खीर के स्वाद से भी पर्यटकों का दिल जीत रहा है।
नीलम का यह प्रयास इतना सफल रहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना रजत जयंती वर्ष के अवसर पर उन्हें “सर्वश्रेष्ठ होमस्टे संचालक” के पुरस्कार से सम्मानित किया। आज नीलम हर साल 25 से 30 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रही हैं और अपने होमस्टे में गांव के सात लोगों को रोजगार भी दे रही हैं यानी अब वे ‘जॉब सीकर’ नहीं, बल्कि ‘जॉब गिवर’ बन चुकी हैं।
नीलम कहती हैं, “सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं महिलाओं के लिए नई उड़ान का अवसर हैं। मैंने इस योजना से आत्मनिर्भरता का रास्ता चुना और अब चाहती हूं कि और महिलाएं भी इस राह पर चलें।”
जिला पर्यटन अधिकारी वृजेन्द्र पांडेय के अनुसार, “नीलम चौहान ने दिखाया है कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कर महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बन सकती हैं, बल्कि समाज में बदलाव की प्रेरक भी बन सकती हैं।”
मुख्यमंत्री धामी की ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास आज चकराता की नीलम चौहान जैसी अनेक प्रेरक कहानियों को जन्म दे रहे हैं। नीलम की कहानी इस बात की सच्ची मिसाल है कि आत्मविश्वास, परिश्रम और अवसर मिलकर पहाड़ों में भी सुनहरे भविष्य की नींव रख सकते हैं।
