GST Tax Slashes: Modi Govt Makes Roti, Medicines Tax-Free, Reduces Rates on Essentials
12 व 28% का स्लैब खत्म अब लगेगा केवल 5 और 18% GST
नई दिल्ली, 04 सितंबर 2025 : रोटी…, जिसके लिए आम आदमी सुबह से शाम तक पसीना बहाता है, किसान खेत जोतता है और माँ अपने बच्चों को खिलाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है कि घर का चूल्हा जले और रोटी पक सके। अब उस रोटी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। मोदी सरकार ने गरीब की थाली से यह बोझ पूरी तरह उतार दिया है।सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए जीएसटी (GST) दरों में ऐतिहासिक बदलाव किया है। अब रोटी, पराठा, पिज़्ज़ा ब्रेड, सादी चपाती और दूध जैसे रोज़मर्रा के खाद्य पदार्थ पूरी तरह से टैक्स फ्री हो गए हैं। इसके साथ ही, जीवनरक्षक दवाओं, स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पर भी अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा। यह फैसला दिल्ली में 10 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद लिया गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि अब जीएसटी को केवल दो स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत – में समेट दिया गया है। पहले से मौजूद 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इस बदलाव से गरीब और आम आदमी को बढ़ती महंगाई से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
इस बड़े बदलाव से सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि किसानों और छोटे व्यापारियों को भी लाभ होगा। सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया जैसे उर्वरकों के कच्चे माल पर जीएसटी की दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई है। इसके अलावा, कृषि उपकरण जैसे हैंड पंप, ड्रिप इरीगेशन और थ्रेसिंग मशीनरी पर भी अब केवल 5% टैक्स लगेगा।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी आम उपभोक्ताओं को राहत मिली है। 1200 सीसी तक की पेट्रोल कारें और 1500 सीसी तक की डीजल कारें अब 28% के बजाय 18% जीएसटी स्लैब में आ गई हैं। वहीं, मक्खन, पनीर, कंडेंस्ड मिल्क और कई डेयरी उत्पादों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे ये सामान अब सस्ते हो जाएंगे।
एक तरफ जहां आम आदमी को राहत दी गई है, वहीं दूसरी तरफ लग्ज़री और हानिकारक उत्पादों पर टैक्स बढ़ाया गया है। लग्ज़री कारों, तंबाकू और सिगरेट पर टैक्स की दरें 40% तक बढ़ा दी गई हैं। इसी तरह, कोल्ड ड्रिंक्स और कैफीन युक्त पेय भी अब महंगे हो जाएंगे क्योंकि इन पर कर की दर 28% से बढ़ाकर 40% कर दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन फैसलों से मध्यम वर्ग की जेब में राहत पहुंचेगी और त्योहारी सीजन से पहले बाज़ार में मांग बढ़ेगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज़ होगी।