⁹Sahasradhara Flood: The Aftermath of Destruction in Dehradun
देहरादून, 16 सितंबर 2025 : गुरु द्रोण की तप स्थली और सैलानियों की पहली पसंद सहस्रधारा में चारों ओर फैले तबाही के मंजर के बीच ये एहसास ही नहीं हो रहा कि कल तक इन गलियों और बाजार में रौनक थी। ध्वंस हो चुकी इमारतों के अवशेष, दुकानों में घुसा मलबा, तबाह रास्ते, समंदर में तब्दील सडक और नदी की विकराल लहरों को निहारते लोग। यही था मंगलवार सुबह सहस्रधारा का नजारा। इक्का-दुक्का चाय की दुकानों को छोड, ज्यादातर दुकानें बंद थी।
सोमवार की रात नौ बजेे तक लोगों को लगने लगा था कि आज जल प्रलय जैसे हालात बनने लगे हैं। दहशतजदा लोग जान बचाने के लिए फौरन घर, होटल और दुकानों को छोड बाहर की ओर भागे। इसके बाद जो कुछ हुआ, उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। उफनती लहरों की राह में आया हर अवरोध तिनके की तरह उड गया। सहस्रधारा में दो वर्ष से लीज पर होटल का संचालन कर रहे सोबत सिंह बताते हैं कि उन्होंने रात नौ बजे नदी का रूप देखा तो फौरन होटल छोड दिया। सुबह वहां था तो सिर्फ मलबे का ढेर। नदी की विकराल लहरों को निहारते 78 वर्ष के शांति प्रसाद बताते हैं कि जीवन में इतनी बडी तबाही वह दूसरी बार देख रहे हैं। मालदेवता को जोडने वालेे पुल की अप्रोच रोड तक वाशआउट हो चुकी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार शाम पांच बजे करीब शुरू हुई बारिश के बीच एकाएक नदी का पानी बढने लगा। जलस्तर को बढते देख लोग सचेत हो गए और सुरक्षित ठिकानों में पनाह ली। मध्य रात्रि को शुरू हुआ तबाही का सिलसिला सुबह चार बजे तक चलता रहा। नदी का वेग सुबह भी भयावह प्रतीत हो रहा था। चाय की दुकान चला रहे एक वृद्ध बोले कुदरत पर तो किसी वश नहीं, लेकिन हमें तो सोचना पडेेगा। मौके पर पहुंची एजेसियां राहत एवं बचाव में जुटी हैं। रास्तों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें कितना समय लगेगा कहा नहीं जा सकता।