Navratri Fasting: The Spiritual and Scientific Benefits for Mind and Body
पढें शारदीय नवरात्रि की तिथियां व घटस्थापना मुहूर्त, इस बार नौ नहीं दस दिन के होंगे नवरात्र
देहरादून, 19 सितंबर 2025 : ऋतु परिवर्तन हमारे शरीर में छिपे हुए विकारों एवं ग्रंथि विषों को उभार देता है। ऐसे समय में व्रत रखकर इन विकारों को बाहर निकाल देना न केवल अधिक सुविधाजनक होता है, बल्कि जरूरी एवं लाभकारी भी। हमारे ऋषि-मुनियों ने इसीलिए ऋतुओं के संधिकाल में व्रत रखने का विधान किया। इसमें भी नवरात्र के दौरान रखे गए व्रत वर्ष के अन्य अवसरों पर किए जाने वाले व्रतों से अधिक महत्वपूर्ण माने गए हैं। कारण, नवरात्र व्रत के दौरान संयम, ध्यान और पूजा की त्रिवेणी बहा करती है। सो, यह व्रत शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक, सभी स्तरों पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं।
देखा जाए तो व्रत का वास्तविक एवं आध्यात्मिक अभिप्राय ईश्वर की निकटता प्राप्त कर जीवन में रोग एवं थकावट का अंत कर अंग-प्रत्यंग में नया उत्साह भरना और मन की शिथिलता एवं कमजोरी को दूर करना है। श्री रामचरितमानस में राम को शक्ति, आनंद एवं ज्ञान का प्रतीक और रावण को मोह यानी अंधकार का प्रतीक माना गया है। नवरात्र व्रतों की सफल समाप्ति के बाद व्रती के जीवन में मोह आदि दुर्गुणों का विनाश होकर उसे शक्ति, आनंद एवं ज्ञान की प्राप्ति हो, ऐसी अपेक्षा की जाती है।
अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी नवरात्र नाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं, इसलिए इसे नवरात्र कहा जाता है। रूपक के माध्यम से हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा है। इन मुख्य इंद्रियों में अनुशासन, स्वच्छता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नवद्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं को समर्पित किए गए हैं।
शारदीय नवरात्र की तिथियां
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22 सितंबर : घटस्थापना, चंद्रदर्शन, मां शैलपुत्री पूजन
(घटस्थापना सुबह 05:34 बजे से सुबह 07:29 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:14 बजे से दोपहर 12:02 बजे तक।)
23 सितंबर : मां ब्रह्मचारिणी पूजन
24 सितंबर : मां चंद्रघंटा पूजन
26 सितंबर : मां कुष्मांडा पूजन
27 सितंबर : मां स्कंदमाता पूजन
28 सितंबर : मां सरस्वती आवाहन, मां कात्यायनी पूजन
29 सितंबर : मां सरस्वती व मां कालरात्रि पूजन
30 सितंबर : मां महागौरी पूजन
01 अक्टूबर : मां सिद्धिदात्री पूजन
02 अक्टूबर : मां दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी
विजयदशमी पर्व के मुहूर्त
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इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की
दशमी तिथि शुरू : 01 अक्टूबर, बुधवार शाम 7:02 बजे
दशमी तिथि समाप्त : 02 अक्टूबर, गुरुवार शाम 07:11 बजे
अपराजिता पूजन : 02 अक्टूबर, गुरुवार
आयुध पूजन : 02 अक्टूबर
रावण दहन : प्रदोष काल में शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक
रात्रि का वैज्ञानिक महत्व
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मनीषियों ने रात्रि के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया। वैसे भी यह सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्य है कि रात्रि में प्रकृति के तमाम अवरोध खत्म हो जाते हैं। अगर दिन में आवाज दी जाए तो वह दूर तक नहीं जाती है, लेकिन रात्रि में दी गई आवाज बहुत दूर तक सुनी जा सकती है। इसके पीछे दिन के कोलाहल के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढऩे से रोक देती हैं। ठीक इसी प्रकार मंत्र जाप की विचार तरंगों में भी दिन के समय अवरोध पड़ता है। इसीलिए ऋषि-मुनियों ने रात्रि का महत्व दिन की अपेक्षा बहुत अधिक बताया है। यही रात्रि का तर्कसंगत रहस्य है।
साल में दो नहीं, चार नवरात्र
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बहुत कम लोग जानते होंगे कि वर्ष में दो नहीं, चार नवरात्र होते हैं। सनातनी पंचांग के अनुसार चैत्र यानी मार्च-अप्रैल में मां दुर्गा के पहले नवरात्र आते हैं, जिन्हें वासंतीय नवरात्र कहा जाता है। अश्विन मास यानी सितंबर-अक्टूबर में आने वाले नवरात्र को मुख्य नवरात्र (शारदीय नवरात्र ) कहते हैं। इन नवरात्र के बाद से ही देशभर में त्योहारों का दौर शुरू हो जाता है। इसकेअलावा एक वर्ष के भीतर दो गुप्त नवरात्र भी मनाए जाते हैं, जो गृहस्थों के लिए नहीं हैं। दोनों नवरात्र आषाढ़ यानी जून-जुलाई और माघ यानी जनवरी-फरवरी में आते हैं। दोनों गुप्त नवरात्र में ऋषि-मनीषी साधना और आराधना करते हैं।
इस बार नौ नही, दस दिन के हैं नवरात्र
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ज्योतिषाचार्य स्वामी दिव्येश्वरानंद के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर को शुरू होकर एक अक्टूबर को विराम लेंगे। दो अक्टूबर को नवरात्र का पारण होगा। इसी दिन विजयादशमी भी है। वह कहते हैं कि शास्त्रों में नौ दिन के नवरात्र को शुभफलदायी और दस दिन के नवरात्र को विशेष फल देने वाला माना गया है। नवरात्र का प्रवेश आश्विन शुक्ल प्रतिपदा और समापन आश्विन शुक्ल नवमी के दिन होता है। इस बार नवरात्र में तृतीया तिथि दो दिन पड़ रही है। इसके चलते नवरात्र नौ के बजाय दस दिन के हो गए हैं।