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Himalaya Ki Awaj > Blog > स्वास्थ्य > आयुर्वेद व ऐलोपैथी पद्धति के तालमेल से हो सकता है बेहतर इलाज
स्वास्थ्य

आयुर्वेद व ऐलोपैथी पद्धति के तालमेल से हो सकता है बेहतर इलाज

Web Editor
Last updated: 2023/04/03 at 9:37 AM
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2 Min Read
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देहरादून: आयुर्वेद को बढावा देने के लिए उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में उत्तराखंड के पीएमएचएस चिकित्सा अधिकारीयों के लिए 06 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने आयुर्वेद पद्धति के महत्त्व पर विषेश बल देते हुए कहा कि प्राचीन समय से ही आयुर्वेद द्वारा चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। आज के समय में आयुर्वेद व ऐलोपैथी पद्धति को आपस में तालमेल बनाकर आम जनमानस को चिकित्सकीय इलाज दे कर बेहतर इलाज किया जा सकता है।

मुख्य सचिव ने प्रशिक्षुओं को बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग और आयुर्वेद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आयुर्वेद रोगों के इलाज के बजाय रोकथाम पर अधिक बल देता है। योग और आयुर्वेद के अनुरूप जीवन शैली अपनाकर हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। इस दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि आयुर्वेद स्वस्थ जीवन शैली का आधार है, जो तनावमुक्त जीवन जीने को बढावा देता है। अवसाद (डिप्रेशन) को कम करने के लिये आयुर्वेद में मौजूद चिकित्सकीय इलाज को अपनाकर स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

कार्यक्रम में सचिव स्वास्थ्य डा0 आर0 राजेश कुमार, सचिव आयुष डा0 पंकज कुमार पाण्डे, कुलपति एच0एन0बी0 उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो0 हेमचन्द पाण्डे, कुलपति उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रो0 सुनील कुमार जोशी, स्वास्थ्य महानिदेशक डा0 विनीता शाह, एन0एच0एम0 निदेशक डा0 सरोज नैथानी, डा0 अजय कुमार नगरकर, प्रो0 अनूप कुमार गक्खड, प्रो0 पंकज कुमार शर्मा, प्रो0 डी0 सी0 सिंह, डा0 दीपक कुमार सेमवाल, डा0 आशुतोष चौहान, चन्द्रमोहन पैन्युली, डा0 राजीव कुरेले, डा0 एच एम0 चन्दोला, डा0 नन्द किशोर दाधिच, डा0 अमित तमादड्डी आदि मौजूद रहे।

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