देहरादून: प्रदेश के सुदरवर्ती क्षेत्रों में अब गांव के नजदीक ही सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो सकेंगी। इसके लिए सहकारिता विभाग ने बहुद्देश्यीय प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों में जन औषधि केंद्र खोलने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
अभी तक विभिन्न जिलों से 67 सहकारी समितियों ने इसके लिए आवेदन किए हैं। बागेश्वर की एक और टिहरी की दो समितियों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से लाइसेंस भी मिल चुका है। जन औषधि केंद्रों के संचालन के लिए अभी तक विभाग ने 15 फार्मेसिस्ट की व्यवस्था भी कर ली है।
सहकारिता की रीढ़ कही जाने वाली सहकारी समितियों को सशक्त बनाने पर सरकार ने विशेष ध्यान केंद्रित किया है। इसी कड़ी में समितियों को विभिन्न आयामों से जोड़ा जा रहा है। हाल में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भी उत्तराखंड दौरे में सहकारी समितियों को पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी संचालन जैसे कार्य देने पर बल दिया था। साथ ही राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए समितियों में जन औषधि केंद्र खोलने को भी कहा था, ताकि दूरस्थ क्षेत्र के गांवों के निवासियों को भी सस्ती दरों पर जैनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो सकें।
अब सहकारी समितियों में जन औषधि केंद्र खोलने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। सहकारिता मंत्री डा धन सिंह रावत स्वयं इसकी मानीटरिंग कर रहे हैं।
परिणामस्वरूप विभिन्न जिलों की सहकारी समितियां इसके लिए आगे आई हैं। निबंधक सहकारी समितियां आलोक कुमार पांडेय के अनुसार प्रथम चरण में प्रत्येक जिले में कम से कम पांच समितियों में जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा गया। इसके सापेक्ष 67 समितियों ने इसके लाइसेंस के लिए आवेदन किए हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक तीन समितियों को लाइसेंस प्राप्त हो चुके हैं और शेष को भी जल्द ही मिलने की उम्मीद है।
निबंधक सहकारी समितियां आलोक कुमार पांडेय के अनुसार समितियों में खुलने जा रहे जन औषधि केंद्रों में बेरोजगार फार्मेसिस्ट को भी अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि अभी तक 15 फार्मेसिस्ट की व्यवस्था हो चुकी है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्र के बेरोजगार फार्मेसिस्ट से अपनी नजदीकी सहकारी समितियों से संपर्क करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि इन जन औषधि केंद्रों में कार्य करने वाले फार्मेसिस्ट के लिए लाभ का आधा हिस्सा अथवा मानदेय की व्यवस्था दोनों ही विकल्प रखे गए हैं।