नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कहा है कि वह आधार को अब जन्मतिथि के तौर पर मान्यता के लिए वैध प्रमाण नहीं मानेगा। 16 जनवरी को जारी एक अधिसूचना में ईपीएफओ ने कहा है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के एक निर्देश के बाद आधार को हटाने का निर्णय लिया गया है।
अधिसूचना के अनुसार, जन्मतिथि में सुधार के लिए आधार को दस्तावेजों की सूची से भी हटाया जा रहा है।
यूआइडीएआइ ने 22 दिसंबर 2023 को एक अधिसूचना में कहा था कि आधार संख्या का उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है और यह सत्यापन के अधीन है।
यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है। यूआइडीएआइ ने कहा था कि ईपीएफओ समेत कई संस्थान जन्मतिथि के सत्यापन के लिए आधार का इस्तेमाल कर रहे हैं। यूआइडीएआइ का कहना है कि कई हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में इस बात पर प्रकाश डाला है कि आधार जन्मतिथि का वैध प्रमाण नहीं है।
रजिस्ट्रार की ओर से जारी जन्म प्रमाण पत्र, सरकारी बोर्ड या विश्वविद्यालय की ओर से जारी मार्कशीट और पैन समेत विभिन्न दस्तावेजों को जन्मतिथि के वैध प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।