देहरादून : देहरादून के कारगी स्थित जल संस्थान के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में सीवर टैंकरों की लाइन सभी ने देखी होगी। जो यह कहते हुए यहां पहुंचते हैं कि घरों/प्रतिष्ठानों के सेप्टिक टैंक की सफाई कर सीवर लेकर आए हैं। ताकि प्लांट में इसका निस्तारण किया जा सके। इसके लिए प्रति टैंकर 400 रुपए का शुल्क भी वसूल किया जाता है। लेकिन, अब जो कहानी सामने आ रही है, वह बेहद चौंकाने वाली है और एनजीटी की उस चिंता को भी बढ़ाती है, जिसमें कहा गया है कि सीवर को किसी भी दशा में नदियों और नदी क्षेत्रों में नहीं उड़ेला जाना चाहिए। इस चिंता को बढ़ाते हुए एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि एक सीवर टैंकर एसटीपी में प्रवेश तो करता है, लेकिन प्लांट में सीवर डाले बिना ही एसटीपी परिसर के पिछले भाग में चला जाता है।
वीडियो में दिख रहा है कि प्लांट के पीछे झाड़ियों की तरफ अचानक टैंकर का वाल्व खुल जाता है और सीवर खुले में बहने लगता है। सीवर तेजी से निचले क्षेत्र में बहता दिख रहा है और बिंदाल नदी किनारे एक प्लाट की दीवार की तरफ जाता दिख रहा है। बताया जा रहा है कि दीवार का एक भाग टूटा हुआ है, जो सीधे नदी की तरफ खुलता है। इस वीडियो के सामने आने के बाद जल संस्थान ने प्रकरण भी जांच भी बैठाई।
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता (दक्षिण) आशीष भट्ट ने कहा कि जांच के मुताबिक टैंकर अधिक होने के चलते संबंधित टैंकर को खाली कराए बिना पीछे की तरफ भेज दिया गया था। तभी किसी खामी के कारण टैंकर का वाल्व खुल गया था। जिससे पूरा सीवर खुले में बह गया। हालांकि, इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि शहरभर की लंबी दूरी तय करने के बाद टैंकर का वाल्व एसटीपी के भीतर प्रवेश करने के बाद ही खराब हो जाता है।
इस कहानी में यकीन करने या न करने के पीछे सभी के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन इतना जरूर है कि एसटीपी में सीवर टैंकरों को लेकर कम से कम सब कुछ तो ठीक नहीं चल रहा है। क्योंकि, यह एसटीपी सीवर लाइन से निकलने वाले सीवर के लिए बना है और घरों से निकलने वाले डाइजेस्टिव सीवर को मजबूरी में यहां उड़ेला जाता है। ऐसे में वीडियो के माध्यम से उठ रहे सवालों का वाजिब समाधान करने की जरूरत है।
टैंकरों के लिए बनेगा को-ट्रीटमेंट प्लांट, बजट पास
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट के मुताबिक टैंकरों के लिए अलग से को-ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। करीब 260 केएलडी क्षमता के इस प्लांट के लिए 76 लाख रुपए का बजट पास हो चुका है। इसके बन जाने के बाद रोजाना 80 से 90 टैंकरों के सीवर को यहां डाला जा सकेगा। अभी मौजूदा एसटीपी में 10-12 टैंकरों की ही व्यवस्था संभव हो पाती है, जबकि यहां रोजाना 30 से 35 टैंकर भी पहुंच रहे हैं।