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गार्बेज फ्री सिटी चैलेंज में उत्तराखंड के 88 शहरी निकायों मे 87 को शून्य अंक ​

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Last updated: 2024/12/08 at 3:39 AM
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देहरादून : यदि भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण​ 2023 में शामिल उत्तर भारत के नगर निकायों को चार हिस्सों में बांटा जाए तो उत्तराखंड के ​एक लाख से कम आबादी वाले 80 निकायों में 80 प्रतिशत ​सबसे गंदे ​यानि ​सबसे निचले एक चौथाई शहरी निकायों में दर्ज होंगे। ​​गार्बेज फ्री सिटी चैलेंज में उत्तराखंड के 88 शहरी निकायों मे 87 को शून्य अंक मिले हैं, इस श्रेणी में सर्वाधिक 1375 नंबर प्राप्त किये जा सकते थे।​ स्वच्छ सर्वेक्षण ​2023 में लगभग हर श्रेणी में उत्तराखंड के नगर निकायों का ​स्वच्छता को लेकर प्रदर्शन ​निराशाजनक और चिंतनीय रहा है।​ उत्तराखंड को साफ सुथरा राज्य बनाने के विज़न को साकार करने के लिए व्यापक स्तर पर नए सिरे से संघटित होकर मिशन मोड पर काम करना पड़ेगा।

एसडीसी फाउंडेशन ​ने जारी की स्वच्छ सर्वेक्षण 2023​ रिपोर्ट

देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ​ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का विश्लेषण ​करते हुए ​उत्तराखंड के प्रदर्शन पर ​विस्तृत रिपोर्ट जारी की​ है।​ 34 पेज की यह रिपोर्ट प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी की गई। रिपोर्ट ​जारी करते हुए एसडीसी फाउंडेशन​ के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा की रिपोर्ट एक ओर जहां राज्य में सफाई व्यवस्था में बरती जाने वाली ​व्यापक लापरवाही को सामने लाती है, वहीं दूसरी ओर मौजूदा स्थिति में ​बड़े सुधार लाने के लिए 10 सुझाव भी दिये गये हैं।​ एसडीसी फाउंडेशन​ ने पिछले वर्षों में भी उत्तराखंड में स्वच्छ सर्वेक्षण पर रिपोर्ट जारी की हैं।

​​हालिया रिपोर्ट कहती है कि ​2023 के स्वच्छ सर्वेक्षण में 1 लाख से 10 लाख आबादी वाले देशभर के 446 ​शहरों को शामिल किया गया था। इनमें उत्तराखंड के ​8 शहर थे। इनमें से देहरादून ही एक मात्र ऐसा शहर है जो ​देश के 100 सबसे ज्यादा साफ-सुथरे शहरों में नाम दर्ज करवा पाया है। देहरादून इस सर्वेक्षण में 68वें स्थान पर है। बाकी ​7 शहरों का प्रदर्शन औसत से खराब रहा है। रुद्रपुर को इस सूची में उत्तराखंड में सबसे पीछे 417वां स्थान मिला है।

​1 लाख से कम आबादी वाले उत्तराखंड के 80 शहरी निकायों में 80 प्रतिशत उत्तर भारत में सबसे निचले, सबसे गंदे एक चौथाई निकाय

रिपोर्ट के अनुसार 1 लाख से कम आबादी वाले उत्तराखंड के 80 शहरी निकाय स्वच्छ सर्वेक्षण का हिस्सा थे। इनमें से 64 यानी 80 प्रतिशत शहरी निकाय उत्तर भारत के सबसे गंदे​, एक चौथाई नगर निकायों में शामिल हैं।

50 हजार से 1 लाख आबादी ​में उत्तर भारत के 98 नगर निकाय ​में उत्तराखंड के 6 निकाय

50 हजार से 1 लाख की आबादी वाले उत्तर भारत के 98 नगर निकाय स्वच्छ सर्वेक्षण में शामिल किये गये थे। इनमें राज्य के 6 नगर निकाय शामिल थे। सभी 6 नगर निकाय सबसे गंदे एक चौथाई शहरों में शामिल हैं। सबसे अफसोसजनक ये है कि उत्तराखंड​ के मुख्यमंत्री का ​गृह क्षेत्र खटीमा इस श्रेणी में ​98वें रैंक के साथ ​उत्तर भारत का सबसे गंदा शहर ​उभर कर सामने आया है।

​25 हजार से ​50 हजार आबादी ​में उत्तर भारत के ​200 नगर निकाय ​में उत्तराखंड के 10 निकाय

इसी तरह 25 हजार से 50 हजार की आबादी वाले नगर निकायों में उत्तराखंड ​का प्रदर्शन खराब रहा है। इस श्रेणी में उत्तर भारत के 200 और उत्तराखंड के 10 नगर निकाय शामिल किये गये थे। उत्तराखंड के 6 नगर निकाय सबसे गंदे चौथाई नगर निकायों में शामिल हैं। ​राज्य का सितारगंज 199वें स्थान पर है, यानी कि इस श्रेणी के नगर निकायों में ​उत्तर भारत में दूसरे नंबर का सबसे गंदा नगर निकाय है।

15 हजार से ​25 हजार आबादी ​में उत्तर भारत के ​282 नगर निकाय ​में उत्तराखंड के 10 निकाय

15 हजार से 25 हजार जनसंख्या वाले उत्तर भारत के 282 नगर निकाय स्वच्छता सर्वेक्षण का हिस्सा थे। इनमें उत्तराखंड के 10 नगर निकाय शामिल थे। इस श्रेणी में भी राज्य के 10 में से 9 नगर निकाय सबसे गंदे चौथाई शहरों में शामिल हैं। इस श्रेणी में सेलाकुई ​280वें स्थान पर है।

15 हजार से ​कम जनसँख्या ​में उत्तर भारत के ​441 नगर निकाय ​में उत्तराखंड के 54 निकाय

15 हजार से कम जनसंख्या ​की श्रेणी में उत्तर भारत के 441 नगर निकाय शामिल किये गये थे, जिनमें उत्तराखंड के 5​4 नगर निकाय थे। ​इनमें राज्य के 43 नगर निकाय सबसे गंदे एक चौथाई नगर निकायों में शामिल हैं।​ इस श्रेणी में उत्तर भारत में तीन सबसे गंदे नगर सभी उत्तराखंड से हैं। चौखुटिया ​इस श्रेणी का सबसे गंदा नगर निकाय है, जो अंतिम यानी 441वें स्थान पर है। सुल्तानपुर 440वें और दिनेशपुर 43​9 स्थान पर है।

​उत्तरखंड को साफ सुथरा राज्य बनाने का विज़न

इस रिपोर्ट में स्वच्छ सर्वेक्षण में राज्य के नगर निकायों का प्रदर्शन सुधारने के लिए 10 सुझाव भी दिये गये हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव कचरा प्रबंधन आयोग गठन करना है। कहा गया है राज्य में गठित विभिन्न आयोगों, निगमों और बोर्डों की तरह ही कचरा प्रबंधन आयोग बनाया जाना चाहिए। इस आयोग को सभी 6 तरह के कचरे ​यानि सॉलिड वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, इ वेस्ट, बायो मेडिकल वेस्ट, कंस्ट्रक्शन वेस्ट और हैजर्डडस वेस्ट का प्रबंधन करने के लिए योजनाएं बनाने और इन योजनाओं का क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

इसके साथ ही ​जन प्रतिनिधि आंदोलन की शुरुआत करते हुए राज्य में स्वच्छता को लेकर मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने का सुझाव दिया गया है, ताकि जनता से पहले जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों को स्वच्छता को लेकर जागरूक और प्रशिक्षित किया जा सके।​ इस सत्र में स्वच्छता से जुड़े जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के समस्त मुद्दों को भी शामिल करने पर ज़ोर दिया गया।

रिपोर्ट में स्वच्छ सर्वेक्षण के नतीजे आने पर विभिन्न निकायों के प्रदर्शन को लेकर मंथन कार्यक्रम आयोजित करने ​को कहा गया है। स्रोत से ही कचरा अलग करने, क्षमता निर्माण के कार्यक्रम चलाने, कचरा बीनने वालों को स्वच्छता कार्यक्रम का हिस्सा बनाने, स्वच्छता कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए नीति निर्धारित करने, आम नागरिकों की भागीदारी के लिए अभियान चलाने जैसे सुझाव भी इस रिपोर्ट में दिये गये हैं।

उत्तराखंड शहरी निकाय चुनाव

​रिपोर्ट जारी करते हुए अनूप नौटियाल ने सभी राजनैतिक दलों से आह्वान किया कि आगामी निकाय चुनावों को लेकर समस्त शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण की बेहतरी के लिए वे अपने अपने घोषणा पत्रों के माध्यम से विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करें ।

उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य के समस्त मेयर प्रत्याशी, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष एवं पार्षद प्रत्याशियों को आवश्यक रूप से प्रचार के दौरान अपने शहरों और वार्डों में स्वच्छ सर्वेक्षण की बेहतरी के लिए अपनी कार्य योजना साझा करने पर ज़ोर दिया।

​उन्होंने कहा की आने वाले दिनों में राज्य भर में निकाय चुनाव के मद्देनज़र साफ सफाई के मुद्दे को प्रदेश के लोगों के सामने लगातार उठाया जायेगा। उन्होंने साफ सफाई के मिशन में प्रदेश के सभी सामाजिक संगठनों और मीडिया से सहयोग की अपील की।

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साथियों, ये है हिमालय की आवाज. आप सोच रहे होंगे कि इतने पोर्टल के बीच एक और पोर्टल. इसमें क्या अलग है. यूं तो इसमें भी खबर ही होंगी, लेकिन साथ ही होगी हिमालय की आवाज यानी अपनी माटी, अपने गांव गली और चौक की बात. जल-जंगल और जमीन की बात भी. पहाड़ के विकास के लिए हम दमदार आवाज बनेंगे. आप सभी शुभचिंतकों के सहयोग का आकांक्षी. : किरण शर्मा, संस्‍थापक

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