देहरादून : उत्तराखंड में क्लाइमेट चेंज , पर्यावरण, शहरीकरण और वेस्ट मैनेजमेंट पर काम करने वाली संस्था, सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन ने उत्तराखंड की चारधाम यात्रा-2024 पर ‘पाथवेज टू पिलग्रिमेज: डेटा इनसाइट्स, चैलेंजेस एंड अपॉर्चुनिटी’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जारी की गयी।
रिपोर्ट जारी करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा की 66 पन्ने की इस विस्तृत रिपोर्ट में यात्रा की 10 प्रमुख बातों को रेखांकित करने के साथ ही यात्रा के संबंध में कई नये आकलन भी किये गये हैं। रिपोर्ट में 28 हफ्ते और 192 दिन तक हर धाम में हर दिन पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही 14 ग्राफ के माध्यम से 10 प्रमुख बिंदुओं को हाईलाइट किया गया है । मीडिया डॉक्यूमेंटेशन के एनालिसिस और रजिस्ट्रेशन व्यवस्था को सरल बनाने के एक स्पेशल फीचर के साथ कई और सुझाव भी इस रिपोर्ट में दिये गये हैं।
रिपोर्ट में आंकड़ों के आधार पर 10 मुख्य आकलन प्रस्तुत किये गये हैं। मसलन 41 प्रतिशत तीर्थ यात्रियों ने पहले एक महीने या 30 दिन में, यानी 10 मई से 8 जून तक चार धामों की यात्रा की और बाकि 59 प्रतिशत तीर्थ यात्रियों ने अगले पांच महीनों में चार धामों की यात्रा की। विवरण के लिए 31वें दिन से 60 वें दिन तक 22 प्रतिशत, 61वें दिन से 90वें दिन तक 5 प्रतिशत, 91वें दिन से 120वें दिन तक 3 प्रतिशत, 121वें दिन से 150 वें दिन तक 12 प्रतिशत, 151वें दिन से 180वें दिन तक 15 प्रतिशत 181वें दिन से यात्रा की समाप्ति, यानी 192वें दिन तक 3 प्रतिशत यात्री चारधाम पहुंचे।
रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण आकलन यह है कि तीर्थयात्रा का दूसरा हफ्ता, यानी 17 मई से 23 मई, सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाला रहा। 28 हफ्ते चली यात्रा में इस एक हफ्ते में ही 5,63,292 यात्रियों के साथ यात्रा के कुल 12 प्रतिशत तीर्थयात्री चार धामों पर आये।
अगस्त के महीने में केदारनाथ यात्रा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई। 31 जुलाई की आपदा के कारण 1 से 10 अगस्त तक एक भी यात्री केदारनाथ नहीं पहुंचा। 11 से 20 अगस्त तक 1,148 तीर्थयात्री, 21 से 31 अगस्त तक 6,270 तीर्थयात्री ही केदारनाथ पहुंच पाये। अगस्त के पूरे महीने में सिर्फ 7,418 तीर्थयात्री केदारनाथ आये।
चार धाम यात्रा की चुनौतियाँ
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में यात्रा का दायरा बढ़ा है। यह विस्तार कई चुनौतियों के साथ हुआ है। रिपोर्ट में चारधाम यात्रा 2024 के प्रबंधन, स्थिरता और प्रभाव के साथ ही यात्रा में भीड़भाड़, सुरक्षा संबंधी चिंताओं और पर्यावरणीय गिरावट को भी इंगित किया गया है।
रिपोर्ट कहती है कि सरकार का ध्यान रिकॉर्ड तोड़ने वाली संख्या का जश्न मनाने से हटकर यह सुनिश्चित करने पर होना चाहिए कि यात्रा का प्रबंधन, तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा, स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और इन पवित्र स्थलों पर निर्भर समुदायों का कल्याण कैसे संभव हो सकता है।
सुरक्षित और सस्टेनेबल यात्रा प्रबंधन पर 10 प्रमुख सुझाव
रिपोर्ट में सुरक्षित और सुव्यवस्थित यात्रा के लिए 10 सुझाव दिये गये हैं। इनमें तीर्थयात्रियों की संख्या को रिकॉर्ड की तरह देखकर जश्न मनाने के बजाय सुरक्षित और सस्टेनेबल यात्रा प्रबंधन और धामों की कैरिंग कैपेसिटी पर ध्यान देने, आपदा प्रबंधन और सड़क बंद होने की स्थिति में जरूरी तैयारियां करने, तीर्थयात्रियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने, यात्रा मार्गों और धामों में स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने, राजस्व में बढ़ोत्तरी के उपाय करने, सभी हितधारकों की सलाह लेेने, राज्य में यात्रा प्राधिकरण स्थापित करने, शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों की हितों की अनदेखी न करने जैसे सुझाव शामिल हैं।