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Reading: दो माह से अधिक नहींं होती कुट्टू के आटे की सेल्फ लाइफ, ऐसे करें शुद्धता की जांच
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Himalaya Ki Awaj > Blog > स्वास्थ्य > दो माह से अधिक नहींं होती कुट्टू के आटे की सेल्फ लाइफ, ऐसे करें शुद्धता की जांच
स्वास्थ्य

दो माह से अधिक नहींं होती कुट्टू के आटे की सेल्फ लाइफ, ऐसे करें शुद्धता की जांच

Web Editor
Last updated: 2025/04/03 at 9:55 AM
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13 Min Read
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देहरादून :  कुट्टू के आटे के 20 नमूनों में से आठ में फंगस , तीन में सोडियम बेंजोएट की अधिक मात्रा तथा सात में कैल्शियम प्रोपियोनेट अधिक मात्रा पाई गई। हालांकि  दो नमूने शुद्ध भी पाए गए। नमूनों की जांच करने वाली संस्‍था स्‍पेक्‍स के अध्‍यक्ष डॉ बृज मोहन शर्मा ने बताया कि ये नमूने 28 व 29 मार्च को अलग अलग बाजारों से एकत्र किए थे। उन्‍होंने बताया कि कुट्टू के आटे कि सेल्फ लाइफ दो महीनों से ज्यादा नहीं होती हैं.

डा शर्मा  के अनुसार यह बहुत आवश्यक है कि कुट्टू के बारें में आम और खास जान को पूरी जानकारी होनी चाहिए । कुट्टू का आटा, जो बकव्हीट (Buckwheat) के पौधे के फल को पीसकर तैयार किया जाता है, किसी भी सामान्य अनाज से जुड़ा नहीं है। इसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम और कई महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं। यह आटा खासतौर पर व्रत के दौरान उपयोग में लाया जाता है। कुट्टू के आटे के कई फायदे हैं। इसमें पाए जाने वाले फ़ाइटोन्यूट्रिएंट्स कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जबकि विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स लिवर से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। कुट्टू के आटे में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं, जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं। यह मैंगनीज़ का अच्छा स्रोत होने के कारण हड्डियों को मज़बूती प्रदान करता है और इसके आयरन, प्रोटीन, और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट बालों को मजबूत बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, कुट्टू के आटे में फाइबर की मात्रा भी होती है, जो सांस से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करता है। व्रत के दौरान इससे पूड़ियां, पराठे, पकौड़े, और चीला तैयार किए जाते हैं। यह आटा विशेष रूप से सेलियक रोग से पीड़ित लोगों के लिए भी सुरक्षित होता है।
कुट्टू का आटा ग्लूटेन-फ्री होता है, जिससे यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन्हें गेहूं से एलर्जी होती है। यह डायबिटीज़ के मरीजों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है और हृदय संबंधी समस्याओं से बचाव करता है। कुट्टू का आटा हड्डियों को मज़बूत करता है, बालों की सेहत को बेहतर बनाता है, और बालों के झड़ने को कम करता है। यह लिवर की समस्याओं को दूर करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसके सेवन से शरीर में सूजन कम होती है और खून की धमनियों की सेहत भी बेहतर होती है। अंत में, यह मानसिक तनाव को कम करने में सहायक साबित होता है।
कुट्टू के आटे में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे एक हेल्दी विकल्प बनाते हैं। इसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, मैंगनीज और फास्फोरस जैसी महत्वपूर्ण चीजें भरपूर मात्रा में होती हैं। कुट्टू के आटे की कैलोरी 343 प्रति 100 ग्राम होती है, और इसमें पानी की मात्रा 10% होती है। इसमें प्रोटीन 13.3 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 71.5 ग्राम, शुगर 0 ग्राम, फाइबर 10 ग्राम, और फैट 3.4 ग्राम होता है। ये सभी पोषक तत्व कुट्टू के आटे को एक स्वस्थ और संतुलित आहार का हिस्सा बनाते हैं।

कुट्टू का आटा कई कारणों से खराब हो सकता है, जैसे कि आटा बहुत पुराना हो, उसमें मिलावट की गई हो, उसमें कीड़े पड़ गए हों, या उसमें बैक्टीरिया या फंगस पनप गया हो। खराब कुट्टू का आटा खाने से फूड पॉइज़निंग हो सकती है, जिससे पेट दर्द, गैस, दस्त, कब्ज़ और मतली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खराब कुट्टू के आटे की पहचान कुछ खास संकेतों से की जा सकती है, जैसे कि आटे में अजीब सी गंध आना, आटे का रंग ग्रे या हल्का हरा होना, या आटे में काले दाने दिखना।
खराब कुट्टू के आटे से बचने के लिए ताजे पिसे हुए कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करें और उसे सूरज की रोशनी और नमी से दूर रखें। इसे फ्रिज में रखना और पैकेजिंग को चेक करना भी महत्वपूर्ण है, ताकि यह किसी तरह से फटी न हो। अगर कुट्टू के आटे में मिलावट की शंका हो, तो ऑर्गनिक, ग्लूटेन-फ्री, या नॉन-जीएमओ जैसे लेबल वाले आटे को चुनें।
कुट्टू का आटा नमी, तापमान और गलत स्टोरेज की वजह से जल्दी खराब हो सकता है। खाद्य विशेषज्ञ के अनुसार, कुट्टू के आटे की शेल्फ लाइफ अन्य आटों के मुकाबले कम होती है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक तेल अधिक होते हैं, जो जल्दी ऑक्सीडाइज हो सकते हैं। इसकी शेल्फ लाइफ आमतौर पर एक से डेढ़ महीने तक होती है, कुट्टू के आटे के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर यदि इसे अधिक मात्रा में खाया जाए। ज़्यादा कुट्टू का आटा खाने से पेट दर्द, गैस, सूजन और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर कुट्टू के आटे में पहले से ही नमक या सोडियम वाली कोई चीज़ मिलाई गई हो, तो इसे खाने से ब्लड प्रेशर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। कुट्टू के आटे में फॉस्फोरस की मात्रा भी होती है, और इसे अत्यधिक मात्रा में खाने से किडनी की सेहत प्रभावित हो सकती है। कुट्टू का आटा कम मात्रा में खाना चाहिए, क्योंकि इसका अधिक सेवन ब्लड शुगर लेवल को गिरा सकता है। इसके अलावा, कुट्टू से बनी चीज़ें कुछ लोगों को एसिडिटी की समस्या भी दे सकती हैं। जिन लोगों को गैस की समस्या बार-बार होती है, उन्हें कुट्टू से बनी चीज़ें खाने से सिरदर्द और सीने में जलन की समस्या हो सकती है। कुट्टू का आटा पूरी तरह से पचता नहीं है, जिसके कारण पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आटे को खराब होने से बचाने के लिए कुछ रसायनों का उपयोग किया जाता है, जिनमें बेंज़ोइल पेरोक्साइड, कैल्शियम प्रोपियोनेट, सोडियम बेंज़ोएट और एंटीऑक्सीडेंट शामिल हैं। बेंज़ोइल पेरोक्साइड एक सामान्य आटा योजक है, जो आटे की सफेदी बढ़ाने और इसके भंडारण गुणों को सुधारने में मदद करता है। हालांकि, इसका अधिक सेवन आटे की पोषण सामग्री पर प्रतिकूल असर डाल सकता है और इससे मतली, चक्कर आना, विषाक्तता, और गंभीर यकृत क्षति जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह बैक्टीरिया को मारने का भी काम करता है और मुँहासे के उपचार में इस्तेमाल होता है।
कैल्शियम प्रोपियोनेट का उपयोग खाद्य उत्पादों में संरक्षक के रूप में और पशु आहार में परिरक्षक के रूप में किया जाता है। यह मोल्ड और बैक्टीरिया के विकास को रोकता है, जिससे खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ती है। यह विशेष रूप से ब्रेड, केक, टॉर्टिला और प्रोसेस्ड मीट जैसे उत्पादों में पाया जाता है। हालांकि, इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे सिरदर्द, माइग्रेन, इंसुलिन प्रतिरोध, और आंत के माइक्रोबायोटा में असंतुलन। अत्यधिक कैल्शियम सेवन से हाइपरकैल्शिमिया, मांसपेशियों में कमजोरी, गुर्दे की पथरी, और मानसिक भ्रम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सोडियम बेंजोएट एक और आम परिरक्षक है, जो खाद्य पदार्थों को संरक्षित करता है और बालों की देखभाल के उत्पादों में भी इस्तेमाल होता है। यह रक्त में अमोनिया के स्तर को नियंत्रित करने, पैनिक अटैक जैसे मानसिक विकारों के इलाज में भी सहायक हो सकता है। हालांकि, इसके अत्यधिक सेवन से एलर्जी प्रतिक्रियाएं, एस्पिरिन-प्रेरित अस्थमा, पेट दर्द, और अनुवांशिक गुणों पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। सोडियम बेंजोएट का प्रयोग खाद्य उत्पादों में नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाता है, जो आमतौर पर 0.1 से 0.2 ग्राम प्रति लीटर होता है।
कुट्टू के आटे में कई प्रकार की मिलावट हो सकती है, जिनमें मक्का, चावल, या गेहूं का खराब गुणवत्ता वाला आटा, सफेद लकड़ी का बुरादा, बोरिक एसिड, सबमरमर का पाउडर और एर्गोट जैसे जहरीले पदार्थ शामिल हैं। इन मिलावटों की वजह से कुट्टू के आटे की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है, और यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे मिलावटी आटे का सेवन करने से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।

ऐसे करें शुद्धता की जांच

कुट्टू के आटे की शुद्धता की जांच करने के लिए आप रंग, गंध, पानी या तेल में मिलाकर देख सकते हैं। इसके अलावा, पैकेट पर लिखी जानकारी और प्रमाणिकता भी जांचें।

रंग से जांच:
• असली कुट्टू का आटा गहरा भूरा या ग्रे रंग का होता है।
• मिलावटी कुट्टू का आटा हल्का हरा या ग्रे रंग का दिख सकता है।

गंध से जांच:
• मिलावटी कुट्टू के आटे में से दुर्गंध आ सकती है।
• शुद्ध कुट्टू का आटा अखरोट जैसी महक देता है।

पानी में मिलाकर जांच:
• एक ग्लास में आधा पानी भरें और उसमें एक चम्मच कुट्टू का आटा डालें।
• अगर आटे में मिलावट है, तो पानी में तैरने वाली चीज़ें दिखाई देंगी और आटा नीचे बैठ जाएगा।
तेल में मिलाकर जांच:
• एक चम्मच कुट्टू के आटे में तेल मिलाएं।
• शुद्ध आटा तेल के साथ कभी लंप्स (गाठें ) नहीं बनाएगा।
• मिलावटी आटा तेल के साथ मिलकर लंप्स बना देगा।

सेलखड़ी या भूसी की मिलावट कैसे पहचानें
• आटे में चाक, भूसी या फिर सेलखड़ी की मिलावट पहचाने के लिए आप पानी में घोलकर देख सकते हैं. इससे आटा ऊपर आ जाएगा और सेलखड़ी या फिर चाक का पाउडर नीचे बैठ जाता है. वहीं भूसी के कण ऊपर तैरने लगते हैं. इस तरह से आप मिलावट की आसानी से पहचान कर सकते हैं.

गर्म तवा पर डालकर देखें
• आटे के जब आप गर्म तवा पर डालेंगे तो जलकर वो राख बनने लगता है और ब्राउन होने की स्टेज पर अच्छी खुशबू देता है. वहीं अगर सेलखड़ी या किसी अन्य पाउडर की मिलावट हो तो राख सफेद रंग छोड़ती है और स्मेल भी बदल सकती है.
टेक्स्चर से करें पहचान
• आप आटे के टेक्सचर से भी मिलावट की पहचान कर सकते हैं. हाथों में लेकर मसलने पर अगर आटा ज्यादा चिकना लग रहा है तो उसमें मिलावट हो सकती है. बिना मिलावट का आटा हल्का मोटा होता है और मुलायम होगा, लेकिन चिकना महसूस नहीं होगा.
पैकेट पर जांच:
• पैकेट पर लिखी जानकारी और प्रमाणिकता को ध्यान से चेक करें।
• पैकेट पर FSSAI, ISO, और AGMARK जैसे सर्टिफ़िकेशन होने चाहिए।

कुट्टू के आटे को खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
• मिलावटी कुट्टू के आटे का रंग बदल सकता है।
• अगर गूंथते समय आटा बिखर रहा हो या ज़्यादा चिकना हो रहा हो, तो यह मिलावटी हो सकता है।
• पैकेट बंद कुट्टू का आटा खरीदना ज्यादा सुरक्षित होता है।
इस प्रेस वार्ता में नीरज उनियाल,राम तीरथ मौर्या, हरिराज सिंह, बालेन्दु जोशी आदि उपस्थित रहे।
डॉ बृज मोहन शर्मा
अध्यक्ष

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Web Editor April 3, 2025
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