बार बार आ रहे छोटे झटकों ने बढाई चिंता
देहरादूून (पीबी) : भूकंप के लिहाज से संवदेनशील उत्तराखंड का अधिकतर भूभाग जोन चार अथवा पांच में आता है। जाहिर है ऐसे में इस पहाडी प्रदेश में बार बार आ रहे भूकंप के झटके वैज्ञनिकों के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। देश के दिग्गज वैज्ञानिक इसको लेकर लेकर अध्ययन कर रहे हैं और उन्होंने आशंका जताई है कि हिमलायी क्षेत्र में और विशेषकर उत्तराखंड में बडा भूकंप आने का प्रबल अंदेशा बन रहा है।
वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में टेक्टॉनिक प्लेटों के घर्षण की वजह से ऊर्जा एकत्र हो रही है, जिसकी आहट राज्य और आसपास आ रहे भूकंप के छोटे छोटे झटकों से मिल रही है। भूकंप के संबंध में तीन चीजें महत्वपूर्ण होती हैं, कब, कहां और कितना बड़ा भूकंप आएगा। हालांकि भूकंप कहां आ सकता है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन कब और कितना बड़ा आएगा, इसका अनुमान लगाना संभव नहीं है। इसके लिए उत्तराखंड में दो जीपीएस लगाए गए हैं। जिनसे पता किया जाएगा कि किस क्षेत्र में सबसे अधिक एनर्जी एकत्र हो रही है, लेकिन सटीक जानकारी के लिए इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीटयूट के वैज्ञानिक डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा कि स्वाभिक तौर पर भूकंप की संभावना ज्यादातर हिमालय क्षेत्र में आने की है, लेकिन इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है की ये भूकंप कब और कहां आएगा।
गौरतलब है कि पिछली सदी में नब्बे के दशक में उत्तराखंड में दो बडे भूकंप आ चुके हैं। जिनमें जान माल का भारी नुकसान हुआ था। पहला अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी में आया भूकंप, जिसमें सात सौ से ज्यादा लोगों की जान गई। वहीं दूसरा भूकंप मार्च, 1999 में चमोली जिले में आया। इसमें लगभग 100 लोग मारे गए और हजारों बेघर हो गए थे।