समस्तीपुर (पीबी) : सदियों से भारतीय अनूठी परंपराओं को सहेजते आ रहे हैं। यही हमारी संस्कृृति की विशेेषता है कि दुनिया को एक अलग अनुभूति प्रदान करती है। अब बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड में सिंधिया घाट को ही देखिये। हर वर्ष नागपंचमी के पावन अवसर पर यहां सांपों के अनोखे और अद्भुत मेले का आयोजन किया जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ।
सिंधिया घाट पर नागपंचमी के पावन अवसर पर सांपों के अनोखे और अद्भुत मेले का आयोजन किया गया तो माना जन सैलाब उमड आया हो। इस मेले में सांपों की पूजा और उनका सार्वजनिक प्रदर्शन पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ किया जाता है। नागपंचमी के दिन सिंघिया बाजार स्थित माँ भगवती मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना से इस परंपरा की शुरुआत होती है। पूजा के बाद ढोल, मृदंग और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है, जो सिंधिया घाट तक पहुँचती है। वहाँ श्रद्धालु पूजा करते हैं और सांपों का प्रदर्शन किया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
पुजारी श्रीराम सिंह ने बताया कि मेला लगभग 200 वर्षों से निरंतर आयोजित हो रहा है। यह भारत में सांपों से संबंधित सबसे प्राचीन और अनोखे मेलों में से एक है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां आकर नागदेवता की पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है और उसे आध्यात्मिक सिद्धि की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि इस मेले में आकर उन्हें अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव होता है और नागपंचमी के दिन इस परंपरा में शामिल होना धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यह मेला केवल बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है।