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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > Kalp Kedar Temple : देखें वीडियो : विडंबना : एक बार फिर मलबे में दबा धराली का ऐतिहासिक कल्‍प केेदार मंदिर
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Kalp Kedar Temple : देखें वीडियो : विडंबना : एक बार फिर मलबे में दबा धराली का ऐतिहासिक कल्‍प केेदार मंदिर

Web Editor
Last updated: 2025/08/05 at 3:18 PM
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3 Min Read
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Kalp Kedar Temple : Uttarkashi Cloudburst: Historical Kalp Kedar Temple Buried Again

 

Kalp Kedar Temple : देहरादून, 05 अगस्त 2025 : उत्‍तरकाशी जिलेे की हर्षिल घाटी में आई आपदा का असर ऐतिहासिक कल्‍प केदार मंदिर पर भी पडा है। विडंबना ही है कि प्राकृतिक आपदा के कारण संभवत: मंदिर एक बार फिर मलबे में दब गया है। किसी ग्रामीण ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है कि जिसमें वह चिल्‍लाते हुए कह रहा कि हमारा कल्‍प केदार मंदिर भी गया। अपने में रहस्‍यमय समेटे यह मंदिर वर्षों से इतिहास प्रेमियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा। बताया जाता है आदि शंकराचार्य ने ही यहां 240 मंदिरों के समूह की स्‍थापना करवाई थी, लेकिन नदी में आई बाढ के कारण वे सब मलबे में दब गए थे। हालांकि अभी यह रहस्‍य अनसुलझा ही है कि क्‍या वहां 240 मंदिर थे।

Kalp Kedar Temple Dharali : आज तक नहीं सुलझ पाया कल्प केदार मंदिर का रहस्‍य

वर्ष 1815 में एक स्‍काटिश यात्री और ईस्‍ट इंडिया कंपनी के अफसर जेम्स बाइली फ्रेजर ने गंगा और यमुना के उदगम स्‍थलों की यात्रा की थी। वह पहला यूरोपियन था जो हिमालय के इतना नजदीक पहुंचा। उसने अपनेे यात्रा वृतांत ‘जर्नल ऑफ ए टूर थ्रू पार्ट ऑफ द स्नोइंग रेंज ऑफ द हिमाला माउंटेंस’ में धराली से मिलती जुलती जगह का उल्‍लेख किया है। हालांकि पुस्‍तक में धराली नाम का जिक्र नहीं है, लेकिन मंदिरों काेे वह हैरत से देखता रहा। इतना ही नहीं, आज से लगभग डेढ सौ साल पहले खींची गई एक तस्वीर भी इस बात का सबूत है कि यहां एक से अधिक मंदिर थे। यह तस्वीर ब्रिटिश फोटोग्राफर सैमुअल ब्राउन (संभवतः सैमुअल बोर्न) ने ली थी। इस दुर्लभ तस्वीर में कल्प केदार के मौजूदा मंदिर के साथ दो अन्य मंदिर भी दिखाई देते हैं। दरसअल, सैमुअल ब्राउन ने 1863 से 1870 के बीच भारत में फोटोग्राफी की थी। अमेरिका के लॉस एंजिल्स स्थित गेटी म्यूजियम में ‘स्मॉल टेंपल्स ऑन द गैंगेस एट डेराली’ शीर्षक से एक फोटो मौजूद है, जो 1865 की है। इसमें डेराली को धराली ही माना जाता है। खास बात यह है कि तस्‍वीर में उस समय भागीरथी नदी आज के बहाव से विपरीत दिशा में बहती दिखायी दे रही है, जहां अब गंगोत्री हाईवे है। यह तस्वीर आज भी पुरातत्व विभाग और स्थानीय घरों में संरक्षित है, जो इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है।

 

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Web Editor August 5, 2025
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