‘विजय पताका’’
जब रणभूमि में नगाड़ा बजता,
शत्रु के दिल में भय पलता,
हम सिंहपुत्रों की हुंकार से,
आकाश भी गरजने लगता।
शत्रु के दिल में भय पलता,
हम सिंहपुत्रों की हुंकार से,
आकाश भी गरजने लगता।
ध्वजा हमारा तिरंगा बनकर,
हवा में शान से लहराता,
हर रंग का अर्थ बताता –
केसरिया बलिदान कराता।
हवा में शान से लहराता,
हर रंग का अर्थ बताता –
केसरिया बलिदान कराता।
धरती माँ की लाज बचाने,
हम प्राणों की आहुति देते,
सीना तान खड़े हो जाते,
गोली से हम आँख मिलाते।
हम प्राणों की आहुति देते,
सीना तान खड़े हो जाते,
गोली से हम आँख मिलाते।
मरने का भय कहाँ हमें,
जीवन का अर्थ है जय,
देश रहे अमर, यही प्रण,
हम हर रण में दें आए।
जीवन का अर्थ है जय,
देश रहे अमर, यही प्रण,
हम हर रण में दें आए।
लहू हमारा धरा को सींचे,
तिरंगा ऊँचा लहराए,
जब तक एक भी श्वास रहे,
भारत माँ का नाम सजाए।
तिरंगा ऊँचा लहराए,
जब तक एक भी श्वास रहे,
भारत माँ का नाम सजाए।
वीर सपूत न पीछे हटते,
ना झुकते, ना थकते,
‘‘जय हिंद!’’ की गूंज संग,
हम विजय पताका फहराते।
ना झुकते, ना थकते,
‘‘जय हिंद!’’ की गूंज संग,
हम विजय पताका फहराते।
शत्रु देखे, हम मुस्काएँ,
मौत भी हमसे हार मान जाए,
देष हमारे बल पर गर्व करें,
भारत फिर से वीर-गाथाएँ गाए।
मौत भी हमसे हार मान जाए,
देष हमारे बल पर गर्व करें,
भारत फिर से वीर-गाथाएँ गाए।