जन्माष्टमी: हर मन में श्रीकृष्ण पाठा।
निशा के आँगन में, दीप झिलमिलाए,
नंद के घर आज, स्वयं नारायण आए।
माटी की खुशबू, गोकुल महकाए,
द्वार पे खड़ा हर जन, बांसुरी बजाए।
ज्योति से जगमग, यह धरती हुई,
पग-पग पर शांति, हर व्यथा हर गई।
संसार को जिसने सिखाया स्नेह,
आज उसी कान्हा का जन्म दिवस है।
माखन की डलिया, प्रेम का उपहार,
गोपियों के सुर में, राधा का प्यार।
अधरों पे मुस्कान, करुणा की गंध,
जय हो नंदलाला, जय-जय वृंदावन।
नन्हें से पग में, ब्रज ने पाया जीवन,
हर स्वर में गूँजा, बस “गोविंद-गोविंद”।
आओ मिलकर गाएँ, आस्था की गाथा,
जन्माष्टमी लाए, हर मन में श्रीकृष्ण पाठा।