Nashik Singhast Kumbh 2027: Dates, Significance, and History
देहरादून, 17 सितंबर 2025 : नासिक में वर्ष 2027 में आयोजित होने वाले सनातनी परंपरा सबसे बड़े उत्सव सिंहस्थ कुंभ की महत्वपूर्ण तिथियां घोषित कर दी गई हैं। सभी 13 अखाड़ों के संतों और पुरोहित संघ व विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों की बैठक में यह घोषणा की गई। महाराष्ट्र के नासिक शहर में त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर के पास गोदावरी नदी के तट पर 12 साल के अंतराल में आयोजित होने वाला सिंहस्थ कुंभ 31 अक्टूबर 2026 को त्र्यंबकेश्वर, रामकुंड और पंचवटी में ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा। इससे पहले वर्ष 2024 में प्रयागराज में पूर्णकुम्भ आयोजित हो चुका है।
ज्योतिष परंपरा में कुंभ पर्व को कुंभ राशि एवं कुंभ योग से जोड़ा गया है। विष्णु पुराण के अनुसार कुंभ योग चार तरह के हैं। जब गुरु कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है। जब गुरु मेष राशि चक्र में प्रवेश करता है और सूर्य व चन्द्रमा मकर राशि में माघ अमावास्या के दिन होते हैं, तब प्रयाग में कुंभ का योग बनता है। सूर्य व गुरु के सिंह राशि में प्रकट होने पर कुंभ का आयोजन नासिक (महाराष्ट्र) में गोदावरी नदी के मूल तट पर होता है। इसी तरह उज्जैन में सूर्य और गुरु के सिंह राशि में आने पर कुंभ आयोजित होता है।
नारद पुराण के अनुसार जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं तब कुंभ मेला नासिक के त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर के पास गोदावरी नदी के तट पर लगता है। कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण शाही (अमृत) स्नान होता है, जिसमें सभी संन्यासी, बैरागी व उदासीन अखाड़ों के प्रतिनिधि स्नान करते हैं। इस बार नासिक में 15 से 20 करोड़ श्रद्धालुओं के जुटने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह कुंभ नासिक और त्र्यंबकेश्वर, दोनों जगह होता है, लेकिन नासिक की विशेष प्रभुत्ता है। यहां के तीन प्रमुख अखाड़े संख्या में अन्य 10 अखाड़ों के बराबर हैं।
कुंभ के स्नान पर्व निम्न हैं-
29 जुलाई 2027 : नासिक में ‘नगर प्रदक्षिणा’
दो अगस्त 2027 : पहला अमृत स्नान
31 अगस्त 2027 : दूसरा अमृत स्नान
तीसरा एवं अंतिम अमृत स्नान दो दिन
11 सितंबर 2027 : नासिक में
12 सितंबर 2027 : त्र्यंबकेश्वर में
24 जुलाई 2028 : ध्वज उतारा जाएगा। इसी के साथ सिंहस्थ कुंभ विराम लेगा
नासिक शहर महाराष्ट्र के उत्तर-पश्चिम में मुंबई से 150 किमी और पुणे से 205 किमी की दूरी पर स्थित है। शहर का मुख्य हिस्सा गोदावरी नदी के दायें (दक्षिण) तट पर है। देश में 12 में से एक ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर नामक शहर में स्थित है। यह स्थान नासिक से 38 किमी की दूरी पर है और गोदावरी नदी का उद्गम भी यहीं से हुआ है। सिंहस्थ कुंभ नासिक और त्र्यंबकेश्वर, दोनों जगह आयोजित होता है। यह शहर नदी घाटों (सीढ़ीदार स्नान स्थल) से युक्त हैं। नासिक में पांडु (बौद्ध) और चामर (जैन) गुफा मंदिर भी है, जो पहली सदी के हैं। नासिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी रहा। मुगल काल के दौरान नासिक शहर को गुलशनाबाद नाम से जाना जाता था। नासिक हिंदुओं की आस्था व प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा मिश्रण है।
कहां किन नदियों के तट पर आयोजित होता है कुंभ
हरिद्वार : गंगा नदी के तट पर उत्तराखंड में
प्रयाग : गंगा व यमुना नदी के संगम पर उत्तर प्रदेश में
नासिक : गोदावरी नदी के तट पर महाराष्ट्र में
उज्जैन : क्षिप्रा नदी के तट पर मध्य प्रदेश में
प्रयाग : गंगा व यमुना नदी के संगम पर उत्तर प्रदेश में
नासिक : गोदावरी नदी के तट पर महाराष्ट्र में
उज्जैन : क्षिप्रा नदी के तट पर मध्य प्रदेश में