Yuva Aapda Mitra Yojana Launched in Uttarakhand | 4310 Volunteers to Get Disaster Management Training
देहरादून, 11 अक्टूबर 2025 : उत्तराखण्ड में आज एक नई पहल की शुरुआत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से राज्य में ‘युवा आपदा मित्र योजना’ का शुभारंभ हो गया है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के युवाओं को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रशिक्षित और सशक्त बनाना है ताकि वे संकट के समय समाज की मदद कर सकें।
शुक्रवार को हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में 50 एनसीसी कैडेट्स का सात दिन का प्रशिक्षण शुरू हुआ। इस शिविर का शुभारंभ एनसीसी रुड़की ब्रिगेड के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर प्रभात भंडारी ने किया।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि यह योजना उत्तराखण्ड के 11 पर्वतीय जिलों में लागू की गई है। इसके तहत 4310 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा—जिनमें एनसीसी के 1700, भारत स्काउट एंड गाइड के 910, तथा एनएसएस और नेहरू युवा केंद्र के 850-850 स्वयंसेवक शामिल हैं।
सुमन ने कहा कि “यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी पहल है, जो न केवल राज्य की आपदा तैयारी को मजबूत करेगी, बल्कि युवाओं में सेवा भावना और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करेगी।”
उत्तराखण्ड एक आपदा-संवेदनशील राज्य है, जहां भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना और जंगल की आग जैसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। ऐसे में प्रशिक्षित ‘युवा आपदा मित्र’ हर गांव और शहर में मददगार साबित होंगे।
शिविर में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत ने स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन अधिनियम और आपदा मित्रों की भूमिका के बारे में जानकारी दी। मास्टर ट्रेनर मनोज कंडियाल ने आपदा पूर्व तैयारी पर प्रशिक्षण दिया, जबकि कर्नल गौरव प्रसाद नौगाई भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
क्या सिखाया जाएगा प्रशिक्षण में:
स्वयंसेवकों को भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, सूखा और हीट वेव जैसी आपदाओं से निपटने की जानकारी दी जाएगी। साथ ही खोज एवं बचाव, प्राथमिक उपचार, जीवन रक्षक सहायता और रासायनिक या जैविक आपात स्थिति से निपटने की तकनीकें भी सिखाई जाएंगी।
मिलेगी ईआर किट और बीमा सुविधा:
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप ने बताया कि सभी प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को इमरजेंसी रिस्पॉन्स (ER) किट दी जाएगी। इसमें फर्स्ट एड किट, हेलमेट, गम बूट, सेफ्टी गॉगल्स, रस्सी, ट्रैक सूट, दस्ताने और फ्लोटेशन डिवाइस जैसे 15 उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा सभी स्वयंसेवकों का 5 लाख रुपये का बीमा तीन वर्ष के लिए किया जाएगा।
इस योजना से उत्तराखण्ड के युवाओं को न सिर्फ आपदा प्रबंधन की समझ मिलेगी, बल्कि वे अपने समुदायों के लिए “पहले मददगार” की भूमिका निभा सकेंगे।