Working Women in India Double in 6 Years: Boosting National Growth
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025: भारत विकसित भारत@2047 की ओर बढ़ते हुए महिलाओं को केवल कार्यबल का हिस्सा नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास की निर्णायक शक्ति के रूप में देख रहा है। ग्रामीण कारीगर से लेकर शहरी उद्यमी तक, महिलाएं अब देश की आर्थिक कहानी में सक्रिय योगदान दे रही हैं।
महिला कार्यबल भागीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2017-18 में महिला श्रम बल भागीदारी (LFPR) 23.3% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 41.7% हो गई। 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं का श्रमिक अनुपात (WPR) भी 22% से 40.3% तक पहुंचा।
हालिया आंकड़ों में, जुलाई 2025 में WPR 31.6% और LFPR 33.3%, जबकि अगस्त 2025 में क्रमशः 32% और 33.7% दर्ज की गई। EPFO के पेरोल में 2024-25 में 26.9 लाख नई महिला सदस्य जुड़ीं, जो औपचारिक रोजगार में महिलाओं के बढ़ते कदम का संकेत है।
ब्रिक्स में महिलाओं की श्रम भागीदारी में भारत अग्रणी
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2015-2024 के बीच भारत ने ब्रिक्स देशों में महिलाओं की श्रम भागीदारी में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की है। जबकि ब्राज़ील, चीन और रूस में आंकड़े स्थिर हैं या गिरावट में, भारत ने 23% से अधिक उछाल दिखाया। यह बदलाव महिलाओं के कौशल, वित्तीय और उद्यमिता अवसरों से सीधे जुड़ा है।
कानूनी सुरक्षा: मातृत्व से कार्यस्थल तक
महिला कर्मचारियों के लिए भारत ने कई अहम कानून बनाए हैं:
- मातृत्व लाभ अधिनियम (2017) – अवकाश 26 सप्ताह और शिशुगृह की सुविधा।
- POSH अधिनियम 2013 – सुरक्षित कार्यस्थल और शिकायत निवारण समितियाँ।
- समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 – समान कार्य के लिए समान वेतन।
- सामाजिक सुरक्षा एवं व्यावसायिक सुरक्षा संहिता 2020 – स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधाएँ।
सरकारी योजनाएँ और कौशल विकास
महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ प्रभावी हैं
- PMKVY – 45% लाभार्थी महिलाएँ।
- PMMY – 68% लाभार्थी महिलाएँ।
- स्टार्टअप इंडिया & स्टैंड-अप इंडिया – महिला नेतृत्व वाले उद्यमों का विस्तार।
- नव्या, शी-बॉक्स, मिशन शक्ति – सुरक्षा, डिजिटल प्रशिक्षण और वन-स्टॉप सहायता।
महिलाओं की कार्यबल भागीदारी, उद्यमशीलता में तेज़ी और लैंगिक-संवेदनशील नीतियाँ यह दर्शाती हैं कि नारी शक्ति अब देश की प्रगति की निर्णायक शक्ति बन चुकी है।
ग्रामीण उद्यमियों से लेकर शहरी कॉर्पोरेट नेताओं तक, महिलाएँ भारत की आर्थिक और सामाजिक दिशा तय कर रही हैं। सुरक्षित और अवसर-समृद्ध कार्यस्थलों के माध्यम से, देश अपनी आधी आबादी की क्षमताओं को उजागर कर मज़बूत, समावेशी और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत का मार्ग तैयार कर रहा है।