देहरादून : पांच सितारा होटल हयात रीजेंंसी को 24 घंटे दी गई बार खोलने की अनुमति निरस्त कर दी गई है। मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आने के बाद यह कार्रवाई की गई।
जिलाधिकारी सविन बंसल शराब की दुकानों में ओवर रेटिंग को लेकर निरंतर सख्ती दिखा रहे हैं। दूसरी तरफ ओएनजीसी चौक पर 11 नवंबर की रात को इनोवा कार और कंटेनर की टक्कर में 06 युवक-युवतियों की मौत को भी उन्होंने गंभीरता से लिया। उनके नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने शहरभर के बारों पर छापेमारी कर रात 11 बजे के बाद खुले बारों का लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित करवा दिया। दूसरी तरफ इस घटना के कुछ ही दिन पहले जिलाधिकारी ने ही 28 अक्टूबर को हयात रीजेंसी के बार को करीब 24 घंटे खुलने की अनुमति प्रदान कर दी।
यह अनुमति उन्होंने पूर्व आबकारी आयुक्त के 27 अगस्त के एक आदेश के क्रम में जारी की। हयात के मामले में महज 12 लाख रुपये के अतिरिक्त राजस्व के लिए उन्होंने आयुक्त के आदेश पर अमल किया। दूसरी तरफ जब राजपुर रोड पर शराब ठेके को 15 दिन के लिए बंद करने के आदेश पर वर्तमान आबकारी आयुक्त एचसी सेमवाल ने रोक लगाई तो जिलाधिकारी ने इसका पालन नहीं किया।
यह स्थिति कहीं न कहीं राजधानी में दोहरी व्यवस्था की तरफ भी इशारे करती है। यदि सवाल राजस्व का ही था तो एक शराब ठेका तो सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्रदान करता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि शहर के बाकी बारों पर अंकुश लगाकर एक ऊंचे घराने की दूकान चमकाई जा रही है। क्योंकि, जब रात के बेकाबू जश्न पर अंकुश का ही प्रश्न है तो हयात इस मामले में अपवाद क्यों होना चाहिए।
बहरहाल, सीएम धामी के रुख के बाद हयात को 12 घंटे की अतिरिक्त अनुमति के आदेश को आयुक्त सेमवाल ने निरस्त कर दिया है। मगर, यदि सीएम सख्त रुख नहीं दिखाते तो क्या जिलाधिकारी की ओर से हयात को दी गई अंतिम अनुमति को निरस्त किया जाता ? यह सवाल उस पुलिस का भी हो सकता है, जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए रात-दिन भला-बुरा सहती है और कुछ भी गड़बड़ होने पर पहले कार्रवाई की तलवार उन्हीं की गर्दन पर लटकती है।